01 October 2016
तानाशाही से पर्यावरण नहीं सुधरता : अनिल दवे
पर्यावरण के प्रति जागरूकता और पश्चिम की अंधाधुंध नकल को यदि रोका जाए तो भारत को कोई प्रदूषित नहीं कर सकता। अनिल दवे ने कहा, विदेश में जो कार्बन फुट प्रिंट की बात करते हैं वैसा भारत में है ही नहीं। भारत की संस्कृति कभी भी उपभोग की नहीं रही। जितना जरूरी है, बस उतना ही। यानी संतोष ही भारत को अलग करता है।
उन्होंने गांधी का उदाहरण दिया जिन्होंने जरूरत के मुताबिक वस्तुओं के उपभोग की जरूरत को बताया था। दवे का कहना है कि जो इन बातों में विश्वास रख रहे हैं वह ही इस देश को स्वच्छ और संतुलित पर्यावरण के साथ रखेंगे। हम लोगों में चेतना ला रहे हैं, क्योंकि तानाशाही से किसी भी नियम का पालन नहीं कराया जा सकता।
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