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31 August 2021

जमीयत उलेमा-ए-हिंद का 'तालिबानी' सुझाव, लड़कियों के लिए अलग स्कूल-कॉलेज खोलने को कहा

पीटीआइ

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) के अध्यक्ष अरशद मदनी ने सह-शिक्षा का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि लड़कियों के लिए अलग स्कूल और कालेज खोलने की वकालत की। इतना ही नहीं, उन्होंने गैर मुसलमानों को सलाह दे दी कि उन्हें भी बेटियों को सह-शिक्षा देने से बचना चाहिए।

दिल्ली में संपन्न हुई जेयूएच की कार्यसमिति की बैठक के बाद सोमवार को जारी एक बयान में मदनी ने कहा कि दुनिया के हर धर्म में अनैतिकता और अश्लीलता की निंदा की गई है। उन्होंने कहा कि अपने गैर-मुस्लिम भाईयों से भी कहेंगे कि वे अपनी बेटियों को अनैतिकता और दु‌र्व्यवहार से दूर रखने के लिए सह-शिक्षा देने से परहेज करें और उनके लिए अलग शिक्षण संस्थान स्थापित करें।

कार्यसमिति की बैठक के दौरान बालक-बालिकाओं के लिए स्कूल-कालेजों की स्थापना, विशेष रूप से लड़कियों के लिए धार्मिक वातावरण में अलग-अलग शिक्षण संस्थान और समाज में सुधार के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की गई। मदनी ने कहा था कि मुसलमानों को अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर उच्च शिक्षा दिलानी चाहिए। आज ऐसे स्कूलों और कालेजों की सख्त जरूरत है, जहां हमारे बच्चे, खासकर लड़कियां बिना किसी बाधा या भेदभाव के उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।

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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी के बयान पर यूपी के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा, ये वही लोग हैं जो महिलाओं को तीन तलाक की बेड़ी में रखना चाहते हैं। इनके बयान से साफ है कि ऐसी विचारधारा के लोग हैं और इनको पिछली सरकारों में संरक्षण मिला है। हम ऐसे लोगों को समर्थन और संरक्षण नहीं देंगे।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के उस बयान की विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने निंदा की है, जिसमें उन्होंने गैर मुसलमानों से अपनी बेटियों को सह-शिक्षा वाले स्कूलों में न भेजने की अपील की थी। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि मदनी के इस तरह के बयान गैर मुसलमानों, महिलाओं व बच्चियों के प्रति अमानवीय सोच को दर्शाता है। पहले से ही इनका नारी व हिंदू विरोधी व्यवहार पूरी दुनिया देख रही है, ऐसे में ये कहीं गैर मुसलमानों को चेतावनी तो नहीं है? मुस्लिम समाज को अब तय करना होगा कि वह ऐसे सोच के लोगों को अपना आदर्श व नेता कब तक मानेंगे।

बंसल ने कहा कि भारत में जहां बच्चियों को सैनिक स्कूलों में दाखिले देने के फैसले हो रहे हैं, वहां ऐसे सोच से तालिबानी मानसिकता प्रदर्शित हो रही है। दुनिया जो तालिबान का चेहरा देख रही है, वही चेहरा इनका उजागर हो गया है। ऐसे लोगों को आगे बढ़ाना नहीं चाहिए।

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TAGS: Jamiat Ulema-e-Hind, appeals, non-Muslims, send girls, co-ed schools
OUTLOOK 31 August, 2021
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