हमें कश्मीर पर भारत के रुख को लेकर कोई शंका नहीं है: रूसी दूत निकोले कुदाशेव
कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन द्वारा उठाए जाने पर रूस ने भारत के रुख का समर्थन किया है। भारत में रूस के दूत निकोले कुदाशेव ने शुक्रवार को कहा कि रूस को कश्मीर पर भारत के रुख को लेकर कोई शंका नहीं है और यह पूरी तरह से भारत तथा पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मामला है।
साथ ही, रूस के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन रोमन बबुश्किन ने कहा कि भारत को सभी एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की आपूर्ति 2025 तक कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि भारत को दी जाने वाली एस-400 मिसाइलों का निर्माण शुरू हो गया है।
22 और 23 मार्च को रूस जाएंगे विदेश मंत्री एस. जयशंकर
रूस के दूत निकोले कुदाशेव ने बताया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय बैठक में भाग लेने के लिए 22 और 23 मार्च को रूस जाएंगे। वहीं, उन्होंने जम्मू-कश्मीर जाने के लिए आमंत्रित न किए जाने पर कहा, ‘जिन्हें कश्मीर पर भारत के रुख को लेकर शंकाएं हैं, वे वहां जा सकते हैं, हमें कोई शक नहीं है।’
यह भारत और पाकिस्तान के बीच का पूरी तरह से द्विपक्षीय मामला
सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दा उठाने की चीन की कोशिशों पर कुदाशेव ने कहा, ‘शिमला समझौते और लाहौर घोषणापत्र के आधार पर यह भारत और पाकिस्तान के बीच का पूरी तरह से द्विपक्षीय मामला है।’ एस-300 का उन्नत संस्करण एस-400 मिसाइलें पहले रूस के रक्षा बलों को ही उपलब्ध थीं। इसका निर्माण अल्माज-एंते करता है और यह 2007 से रूस के बेड़े में शामिल है।
‘मेरे कश्मीर जाने की कोई वजह नहीं है’
भारत में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव ने कश्मीर मसले को चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाने की कोशिशों पर कहा कि हम इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के अजेंडे में लाने के पक्ष में नहीं रहे हैं। विदेशी दूतों के कश्मीर दौरे पर उन्होंने कहा कि यह आपका फैसला है। इस बारे में निर्णय लिया जाना आपका अंदरूनी मामला है जो भारत के संविधान से जुड़ा है। जहां तक मेरे कश्मीर जाने का सवाल है तो मैं समझता हूं कि मेरे वहां जाने की कोई वजह नहीं है।
एक बार फिर नाकाम हुई पाकिस्तान की कोशिश
उल्लेखनीय है कि बीते बुधवार को कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाने की चीन और पाकिस्तान की कोशिश एकबार फिर नाकाम हो गई। पाकिस्तान के सहयोगी चीन ने इस इनडोर बैठक के लिए दवाब बनाया। इस पर अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस ने चीन के अरमानों पर पानी फेर दिया। इन देशों ने इस मसले पर जारी सभी विवादों को भारत और पाकिस्तान को ही द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाने को कहा। बता दें कि अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं।
इससे पहले भी पाकिस्तान चीन की मदद से कर चुका है ऐसी कोशिशें
इससे पहले भी पाकिस्तान अपने मित्र चीन की मदद से ऐसी कोशिशें कर चुका है। पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाते हुए इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। तब चीन ने इस मसले पर यूएनएससी की इनडोर बैठक बुलाई थी। तब भी चीन और पाकिस्तान को कुछ भी हासिल नहीं हुआ था क्योंकि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इसे भारत का आंतरिक मसला करार देते हुए कोई भी कार्रवाई से इनकार कर दिया था। पिछले साल दिसंबर में भी चीन ने ऐसी बैठक की गुजारिश की थी लेकिन तब भी बैठक नहीं हुई थी।