केजरीवाल ने खुलवाई शराब की 399 दुकानें, नशामुक्ति केंद्र एक भी नहीं खोला
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब नीति पर पाखंड को उजागर करते हुए स्वराज अभियान ने शनिवार को आम आदमी पार्टी की सरकार को लताड़ा। एक चौंकाने वाला ख़ुलासा करते हुए स्वराज अभियान ने बताया कि जब से पार्टी सत्ता में आई है राष्ट्रीय राजधानी में 399 नई शराब की दुकानें खोल दिए गए। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए स्वराज अभियान के संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा – ‘एक पार्टी जो जनभागीदारी के जरिये नशा मुक्ति का दावा करके सत्ता में आई, उसके राज में 399 का आंकड़ा हैरान करने वाला है।’ आप सरकार अब तक अलग-अलग आंकड़े देकर दिल्ली की जनता को गुमराह करने की कोशिश करती रही, जिसे स्वराज अभियान ने ‘पारदर्शिता और जवाबदेही के आंदोलन से निकली पार्टी द्वारा आरटीआई की आत्मा से छलावा’ करार दिया। गौरतलब है कि स्वराज अभियान ने ख़ुलासा किया था कि कैसे दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग ने चार अलग-अलग आरटीआई में एक ही सवाल के अलग-अलग जवाब दिए।
दिल्ली विधानसभा में इस मसले पर पूछे गए तारांकित प्रश्न के जवाब में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रश्न को शराबबंदी के मुद्दे पर घुमाने की कोशिश की जिसका उठाए गए मुद्दे से कोई संबंध ही नहीं है। जब सरकार द्वारा दिए गए शराब के दुकानों की लंबी फ़ेहरिस्त का गहराई से अध्ययन किया गया तो आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने वास्तव में शराब की 399 नई खुदरा दुकानें खोली हैं।
योगेंद्र यादव ने कहा कि आम आदमी पार्टी दिल्ली के लोगों से किए अपने वादे से मुकर गई है और राष्ट्रीय राजधानी में बेशर्मी के साथ शराब के व्यापार को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने इस बात पर गंभीर चिंता जताई कि लगातार बढ़ रहे रीटेल वेंडिंग पॉइंट्स से हो रही आमदनी का इस्तेमाल नशामुक्ति के कार्यक्रमों और अभियान पर खर्च में नहीं हो रहा है। हैरत कि बात है कि आप सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में कोई भी नया नशामुक्ति केंद्र नहीं खोला है और नशामुक्ति के कार्यक्रम और अभियान पर मात्र 16000 रुपये खर्च किए हैं। इस न्यूनतम आंकड़े के अलावा, यह भी पाया गया कि आप सरकार ने, जिसे कैग ने प्रचार और विज्ञापन पर अधिक खर्च के लिए फटकार लगाई है, शराब से नशामुक्ति के प्रचार पर मात्र 1.79 लाख रुपये खर्च किए हैं।
सीधे-सीधे शब्दों में, आप सरकार ने इस साल शराब बिक्री से 600 करोड़ रुपये के राजस्व में से 1 करोड़ भी नशामुक्ति, पुनर्वास या शराब के नशे पर रोकथाम के लिए राष्ट्रीय राजधानी में खर्च नहीं किए। यह चिंता का विषय है कि रीटेल वेंडिंग पॉइंट्स की संख्या और रेवेन्यू में लगातार इज़ाफ़े के बावजूद शराब से नशामुक्ति पर खर्च में भारी कमी आई है। यहां उल्लेखनीय है कि पिछली सरकारों ने भी नशामुक्ति कार्यक्रमों के लिए वर्तमान सरकार के मुकाबले ज्यादा फंड का इस्तेमाल किया। जब यह मुद्दा दिल्ली विधानसभा में उठाया गया तो आम आदमी पार्टी की सरकार ने सदन के अंदर झूठ और गलतबयानी के जरिये लोगों को गुमराह करने की कोशिश की। एक प्रश्न के जवाब में उप मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि शराब की नई दुकान खोलने से पहले ‘वर्तमान में नियमानुसार आम जनता की राय आवश्यक नहीं है’। जबकि दिल्ली सरकार के आबकारी नियम 2010 का 24वां बिंदु स्पष्ट रूप से नए ठेके खोलने से पहले स्थानीय लोगों की सहमति की प्रक्रिया निर्धारित करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली सरकार ने आबकारी नीति के तहत जनता की रायशुमारी को बिलकुल नजरअंदाज किया गया।
इसके अलावा जब सरकार से यह पूछा गया कि क्या स्थानीय विधायक की सहमति आवश्यक है तो उप मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि ऐसा कोई नियम नहीं है। तथ्य यह है कि लाइसेंस देने से पहले स्थानीय विधायक की सहमति लेना सरकार की अपनी नीति का हिस्सा है। दिल्ली सरकार की आबकारी नीति स्पष्ट कहती है कि L6 वेंड्स और L2 एवं L10 दुकान खोलने से पहले स्थानीय विधायक की सहमति आवश्यक है। प्रेस वार्ता में स्वराज अभियान ने कागज़ात दिखाते हुए साबित किया कि वर्तमान में भी कागजों पर ही सही, लेकिन स्थानीय लोगों की रायशुमारी का दावा किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अब जब आम आदमी पार्टी की करतूतें पकड़ी गई है तो पार्टी ने मोहल्ला सभा की बातें शुरू की है, जबकि सच्चाई ये है कि अभी तक मोहल्ला सभाओं की अधिसूचना भी नहीं हुई हैं। मोहल्ला सभा को शक्ति और अधिकार स्वराज बिल के द्वारा देने का प्रावधान है, लेकिन उस बिल को लाने में सरकार ने अब तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। यानी मोहल्ला सभा को अब तक कोई क़ानूनी मान्यता नहीं है, इससे आम आदमी पार्टी की नीयत पर सवाल उठता है। उससे भी बुरी बात है कि लाइसेंस देने से पहले मौजूदा प्रावधान के 24वें बिंदु के अनुपालन के लिए सरकार ने कोई प्रयास नहीं किया। क्या पीड़ित का आवरण ओढ़ कर एलजी पर आरोप मढ़ना और पंजाब के लिए विज्ञापन करना ही बुनियादी विचार है? ये सारे तथ्य मोहल्ला सभा के विचार के प्रति आम आदमी पार्टी की गंभीरता और प्रतिबद्धता पर गंभीर प्रश्न उठाते हैं।
स्वराज अभियान ने शराब की ऐसी दुकानों के खिलाफ़ अभियान छेड़ रखा है जो स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। अभियान ने यह मांग रखी है कि दिल्ली में शराब के मुद्दे पर वादे और सच्चाई को लेकर सरकार एक श्वेतपत्र जारी करे और जन भागीदारी के जरिये प्रभावी नियमन, नियंत्रण और नशा मुक्ति की व्यवस्था हो। अभियान ने आबकारी नीति के ड्राफ्ट को आम जनता द्वारा सुझावों के लिए सार्वजानिक करने की मांग भी रखी है। स्वराज अभियान ने शराब की ऐसी 11 दुकानों की लिस्ट जारी की है जो स्थानीय लोगों की सहमति के बिना चल रहे हैं और इनको तत्काल बंद करने की मांग की है।