सबरीमला मामले में हाईकोर्ट का निर्देश, सरकार मंदिर की रोजमर्रा की गतिविधियों में न दे दखल
सबरीमाला मंदिर विवाद पर केरल हाईकोर्ट ने कहा कि मंदिर में मीडिया और श्रद्धालुओं को आने से नहीं रोका जा सकता है। सरकार को मंदिर की रोजमर्रा की गतिविधियों में दखल नहीं देना चाहिए। वाहन क्षतिग्रस्त करने वाले पुलिसकर्मी के खिलाफ विभागीय जांच होनी चाहिए।
केरल का सबरीमाला मंदिर सोमवार को एक दिन के लिए खुलने जा रहा है। विशेष पूजा के लिए एक दिन के लिए सबरीमाला मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। केरल पुलिस मंदिर दोबारा खुलने से पहले सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। इसे देखते हुए भगवान अयप्पा मंदिर के आसपास सुरक्षा के लिए 2300 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।
महिलाओं का मंदिर में नहीं हो पाया प्रवेश
पिछले दिनों मंदिर का कपाट खोले जाने के बाद महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया गया और किसी भी महिला को मंदिर में अंदर जाने नहीं दिया गया था। वहीं, दोबारा मंदिर के कपाट खोले जाने के कारण केरल पुलिस ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हैं। 4 से 6 नवंबर तक सन्नीधनम, पंबा, निलाक्कल और इलावंकुल में धारा 144 भी लगा दी गई है।
इससे पहले कोर्ट ने सरकार और देवस्वम बोर्ड से अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा था तथा केरल हाई कोर्ट ने बीजेपी के प्रचार विभाग के संयोजक टीजी मोहनदास द्वारा सबरीमाला मंदिर में सिर्फ अलग-अलग धर्मों के भक्तों प्रवेश के लिए मांगी गई इजाजत पर असंतुष्टि जाहिर की थी।
बना है टकराव
सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को अपने फैसले में 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था, लेकिन इस मसले को लेकर श्रद्धालुओं और सरकार के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई। सबरीमाला में अबतक महिलाओं की एंट्री नहीं हो पाई है।
राज्य की लेफ्ट सरकार ने जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने की कोशिश की तो सबरीमाला के श्रद्धालु और पुजारी इस फैसले के विरोध में उतर गए। वहीं, केरल बीजेपी के अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि बीजेपी 30 नवंबर को श्रद्धालुओं के समर्थन में और राज्य सरकार की प्रताड़ना के खिलाफ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेगी।