लखीमपुर खीरी हिंसा: स्टेटस रिपोर्ट में देरी पर यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, 'आप अपने पैर खींच रहे हैं'
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है यूपी सरकार इस केस में अपने पैर पीछे खींच रही है। अदालत ने कहा है कि उन्हें ऐसा लगता है कि राज्य सरकार इस मामले में अपने पैर पीछे खींच रही है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष मामले में शेष गवाहों के बयान दर्ज करने को कहा।
भारत के मुख्य न्यायधीश की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि हमने कल रात तक इंतजार किया, लेकिन रिपोर्ट दाखिल नहीं हुआ। हालांकि, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत को बताया कि रिपोर्ट दाखिल कर दिया गया है।
शीर्ष अदालत, जो लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें किसानों के विरोध के दौरान चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे, राज्य सरकार ने बताया कि 44 गवाहों में से चार के द्वारा दिए गए बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया गया।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में देखा। वहीं, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ को राज्य ने बताया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है। अब शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 26 अक्टूबर को तय की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस एन वी रमना ने सवाल किया है कि , 'अगर आप सुनवाई से कुछ मिनट पहले दाखिल करेंगे तो हम रिपोर्ट को कैसे पढ़ सकते हैं? हम उम्मीद करते हैं कि यह सुनवाई से कम से कम एक दिन पहले दाखिल की जाएगी। हमने कभी नहीं कहा कि इसे एक सीलबंद कवर में होना चाहिए। कल हमने 1 बजे तड़के तक इंतजार किया। यह क्या है......' अब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से अगले हफ्ते तक एक ताजा स्टैटस रिपोर्ट देने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'आप कहते हैं कि आपने 44 गवाहों की जांच की है। 4 गवाहों का बयान 164 के तहत के हुआ है। बाकी ने अपना बयान क्यों नहीं दर्ज करवाया है? ' सीजेआई ने यह भी पूछा कि इस मामले में अबतक कितनी गिरफ्तारियां हुई हैं।
बता दें कि मामले में अब तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं, शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई तब कर रही है जब दो वकीलों ने सीजेआई को पत्र लिखकर घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की थी, जिसमें सीबीआई भी शामिल है।