SC-ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करेगी केंद्र सरकार
एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर पुनर्विचार के लिए केंद्र सरकार अगले सप्ताह याचिका दायर कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, कानून मंत्रालय ने याचिका दायर करने के लिए हरी झंडी दे दी है।
Union Law Ministry has approved filing of review petition in Supreme Court on SC/ST act: Sources
— ANI (@ANI) March 29, 2018
केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के बारे में नए मानदंडों के तहत संज्ञान लिया है। पहले ही फैसले की समीक्षा और पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए कानून मंत्रालय को निर्देश दिए जा चुके हैं।
The government has taken note of judgment of Supreme Court about laying doing new norms as per SC/ST operation is concerned. I have already instructed ministry of law over the desirability of filling a review and appropriate follow-up action: Union Minister Ravi Shankar Prasad pic.twitter.com/cZB0sqPAJO
— ANI (@ANI) March 29, 2018
बता दें कि विपक्षी दलों के अलावा सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के कई दलित सांसद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर प्रधानमंत्री से मुलाकात कर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग कर चुके हैं। यह मसला संसद के गलियारों में गूंजा और कांग्रेस ने संसद भवन परिसर में विरोध प्रदर्शन भी किया। विपक्ष ने सरकार पर दलित और आदिवासी विरोधी होने का आरोप भी लगाया है। बुधवार को विपक्षी दलों के सांसदों ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर फैसले पर दखल देने की गुहार लगाई।
यह कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस एक्ट के तहत कानून का दुरुपयोग हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया है। इसके अलावा इसके तहत दर्ज होने वाले मामलों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस को सात दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे एक्शन लेना चाहिए। अगर अभियुक्त सरकारी कर्मचारी है तो उसकी गिरफ़्तारी के लिए उसे नियुक्त करने वाले अधिकारी की सहमति ज़रूरी होगी। उन्हें यह लिख कर देना होगा कि उनकी गिरफ्तारी क्यों हो रही है। अगर अभियुक्त सरकारी कर्मचारी नहीं है तो गिरफ़्तारी के लिए एसएसपी की सहमति ज़रूरी होगी। दरअसल, इससे पहले ऐसे मामले में सीधे गिरफ्तारी हो जाती थी।