टिड्डियों का दल उत्तर प्रदेश के कासगंज और आगरा पहुंचा, हवा की दिशा के कारण दिल्ली से खतरा टला
हरियाणा के कई जिलों में फसलों को नुकसान पहुचाने वाला टिड्डियों का 2 से 3 किमी लंबा झुंड जोकि शनिवार को गुरुग्राम में था, दिल्ली की ओर जाने के बजाय उत्तर प्रदेश के कासगंज और आगरा तक पहुँच गया। इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई जिलों में अलर्ट जारी कर दिया है।
केएल गुर्जर, उप निदेशक, पादप संरक्षण, संगरोध और भंडारण (पीपीक्यूएस), फरीदाबाद ने बताया कि हवा के रुख के कारण टिड्डियों का दल दिल्ली के बजाय आगरा और कासगंज की तरफ चला गया है। उन्होंने बताया कि अब यह दिल्ली की तरफ नहीं आयेगा। उन्होंने बताया कि बड़ा झुंड कासगंज की ओर चला गया है और छोटा आगरा तथा इनके बदायूं और एटा की ओर बढ़ने की उम्मीद है।
पीपीक्यूएस कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आता है और यह देश भर में अपने विभिन्न उप-कार्यालयों के माध्यम से टिड्डी नियंत्रण पर उपाय करने के लिए एक नोडल एजेंसी है। हरियाणा के विभिन्न जिलों में कीट नियंत्रण अधिकारियों ने सर्विस व्हीकल-माउंटेड स्प्रेयर, फायर एक्सटिंग्यूशर वाहनों और ड्रोन के माध्यम से देर रात और सुबह-सुबह टिड्डियों पर रसायनों का छिड़काव किया। टिड्डियाँ दिन में उड़ती हैं और रात में विश्राम करती हैं इसलिए कीटनाशकों के छिड़काव से टिड्डियों को मारने का उपयुक्त समय रात है। गुर्जर ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश के जिला अधिकारियों के साथ रासायनिक छिड़काव जारी रखेंगे।
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश और गुजरात के साथ ही महाराष्ट्र में महीने भर से सक्रिय
गुर्जर के अनुसार, गुरुग्राम पहुंचने वाला टिड्डियों का झुंड जैसलमेर और बाड़मेर सीमा क्षेत्र के रास्ते से पाकिस्तान से भारत में प्रवेश किया था और झुंझुनू तक पहुंच गया था। वहां से यह दल रेवाड़ी पहुंचा और रेवाड़ी से, झज्जर होते हुए गुरुग्राम तक पहुँचे और अब वे उत्तर प्रदेश में हैं। टिड्डियों के दल ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश और गुजरात के साथ ही महाराष्ट्र के कई हिस्सों में महीनेभर से अधिक समय से तबाही मचाई हुई है। युवा टिड्डियों का दल व्यस्क की तुलना में फसलों के लिए कहीं अधिक खतरनाक है, व्यस्क टिड्डे कम दूरी तय करते हैं और प्रजनन पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि युवा एक दिन में 150 किमी तक उड़ सकते हैं और अधिक वनस्पति खा सकते हैं।
लगातार हो रहे हैं टिड्डियों के हमले
विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान टिड्डी दल वही हैं, जो 17 फरवरी, 2020 के बाद पाकिस्तान और ईरान के रेगिस्तान में बच गया था। 1993 के बाद, पहली बार 22 मई, 2019 को, बड़े पैमाने पर टिड्डियों ने पाकिस्तान की सीमा वाले क्षेत्रों पर हमला किया। टिड्डी-नियंत्रण इकाइयों ने सोचा कि वे अक्टूबर 2019 के अंत तक उन्हें खत्म कर सकते हैं, लेकिन आक्रमण फरवरी 2020 तक जारी रहा। डॉ. राजेश कुमार, प्लांट प्रोटेक्शन ऑफिसर, जैसलमेर ने कहा 17 फरवरी, 2020 तक हमने सभी टिड्डियों को मार डाला या उन्हें पाकिस्तान और ईरान में सीमा पार करने के लिए मजबूर किया। इसलिए हमने अपने नियंत्रण उपायों को रोक दिया और उम्मीद की कि पाकिस्तान और ईरान उन्हें खत्म करने के लिए इसी तरह के उपाय करेंगे लेकिन उनकी बची हुई आबादी ने प्रजनन जारी रखा और अप्रैल में उन्होंने हमला किया।