नई 'डिक्शनरी' पर विवाद के बीच बोले लोकसभा अध्यक्ष- संसद में किसी भी शब्द के इस्तेमाल पर पाबंदी नहीं, लेकिन सदस्य मर्यादा बनाए रखें
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को कहा कि संसद में किसी भी शब्द के इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है और सदस्य सदन की मर्यादा बनाए रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।
बिड़ला की टिप्पणी लोकसभा सचिवालय द्वारा एक पुस्तिका के प्रकाशन पर विवाद के बीच आई है, जिसमें 'शर्मिंदा', 'जुमलाजीवी', 'तानाशाह', 'दुर्व्यवहार', 'विश्वासघात', 'भ्रष्ट', 'नाटक', पाखंड' और 'अक्षम' असंसदीय अभिव्यक्ति के रूप में जैसे शब्दों को सूचीबद्ध किया गया है।
ओम बिड़ला ने संवाददाताओं से कहा, "किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। सदस्य अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। कोई भी उस अधिकार को नहीं छीन सकता है, लेकिन यह संसद की मर्यादा के अनुसार होना चाहिए।" उनके द्वारा "यह वर्णन करने के लिए कि भाजपा भारत को कैसे नष्ट कर रही थी" का इस्तेमाल असंसदीय के रूप में किया।
बिड़ला ने कहा कि संसदीय प्रथाओं से अनजान लोग हर तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं और कहा कि विधायिकाएं सरकार से स्वतंत्र हैं। उन्होंने असंसदीय समझे जाने वाले शब्दों और अभिव्यक्तियों की सूची संकलित करने वाली पुस्तिका के विमोचन का उल्लेख करते हुए कहा, "यह 1959 से जारी एक नियमित अभ्यास है।"
बिड़ला ने कहा कि जिन शब्दों को हटा दिया गया है, वे विपक्ष के साथ-साथ सत्ता में पार्टी द्वारा संसद में कहे/उपयोग किए गए हैं। केवल विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों के चयनात्मक निष्कासन के रूप में कुछ भी नहीं ... कोई शब्द प्रतिबंधित नहीं है, उन शब्दों को हटा दिया है जिन पर पहले आपत्ति की गई थी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि क्या उन्होंने (विपक्ष) 1100 पन्नों की इस डिक्शनरी (असंसदीय शब्दों को मिलाकर) को पढ़ा है, अगर वे... गलतफहमियां नहीं फैलाते...यह 1954...1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी किया गया है। ...2010 से सालाना आधार पर रिलीज हो रही है।