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24 January 2020

अब लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाएगा सीसीए का पाठ, सिलेबस में शामिल करने की तैयारी

file photo

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर चल रहे विरोध और समर्थन के बीच लखनऊ यूनिवर्सिटी ने अब नई बहस को जन्म दे दिया है। यूनिवर्सिटी सीएए  को सिलेबस का हिस्सा बनाने की तैयारी कर रहा है। इसे लेकर राजनीति विज्ञान विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है।

एचओडी शशि शुक्ला ने शुक्रवार को कहा कि हमारे विभाग में संविधान और नागरिकता पढ़ाया जाता है। सीएए भारतीय राजनीति में एक समकालीन मुद्दा है। हम इसे अपने छात्रों को पढ़ाना चाहते हैं। वहीं, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि इस विषय पर अभी बहुत बहस चल रही है। इसलिए ऐसा करना पूरी तरह से गलत व अनुचित है।

'एक टॉपिक के रूप में होना चाहिए शामिल'

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वहीं, यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि छात्र यह कहते हुए हमारे पास आते हैं कि सीएए के बारे में हर जगह चर्चाएं चल रही है। इसलिए हमें लगता है कि इसे एक टॉपिक के रूप में शामिल किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट में है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने सीएए के खिलाफ दायर 60 से अधिक याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई की थी। कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार करते हुए केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब देने को कहा था। बता दें कि सरकार ने 10 जनवरी 2020 को सीएए की अधिसूचना जारी की थी। इससे पहले 19 जनवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कहा था कि 2016-2018 में 395 अफगानी मुसलमानों और 1595 पाकिस्तानी प्रवासियों को नागरिकता दी गई है। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि हम किसी की नागरिकता नहीं छीन रहे हैं बल्कि प्रदान कर रहे हैं। 

‘सत्ता में आने पर लेंगे वापस’

वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा, “सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ यूनिवर्सिटी द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित है। बसपा इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।”

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TAGS: Lucknow university, mulling, including caa, political science syllabus, mayawati, bsp
OUTLOOK 24 January, 2020
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