राकेश टिकैत के समर्थन में महापंचायत, बोले-कभी दिया था भाजपा को वोट, कल थे खतरनाक हालात
किसानों के आंदोलन के मसले पर राकेश टिकैत के समथन में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में महापंचायत हुई। इसमें भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत कहा है कि किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। किसान दिल्ली जाएं और आंदोलन को मजबूत बनाएं। जिसे ग़ाज़ीपुर बॉर्डर जाना है, वह कल जा सकता है। वहीं, दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सिर्फ 40 सेकंड में आंदोलन दोबारा शुरू हुआ। कल दंगों से भी भी खतरनाक स्थिति थी। मैंने कभी बीजेपी को वोट दिया था, बीजेपी के लोगों मदद की। कल लोगों का मोरल डाउन था लेकिन हमारा आंदोलन शांति पूर्ण रहेगा। बता दें कि बीते दिन गाजीपुर बॉर्डर पर हुए बवाल के बीच राकेश टिकैत ने किसानों से यहां पहुंचने की अपील की थी।
नरेश टिकैत ने मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान पर आयोजित किसान महापंचायत को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों का आन्दोलन की मांगे पूरी होने तह जारी रहेग। दिल्ली की घटना से किसान के सम्मान को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि समय समय पर सभी लोगों ने आपसी मतभेद भुलाकर एकजुटता का परिचय दिया है। जयन्त चौधरी के साथ हुए हाथरस व 2002 की विशाल जनसभा आदि इसके उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि हमें भाजपा विधायक नंदकिशोर के व्यवहार का बुरा नहीं मानना चाहिए। आज उन्ही की वजह इस आंदोलन को संजीवनी मिली है। भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत के आह्वान पर आयोजित इस किसान महापंचायत में पूरा विपक्ष एकजुट होकर शामिल हुआ। विपक्ष के सभी बड़े नेता अपने समर्थकों के साथ महापंचायत में पहुंचे।
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद जयन्त चौधरी ने किसान महापंचायत को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह संकट की घड़ी है और इस घड़ी में हम सबको एकजुटता का परिचय देना होगा। उन्होंने कहा कि यहां मौजूद आप सभी बुजुर्ग अच्छी तरह से जानते है कि चौ. चरण सिंह गरीब व किसानों के नेता थे तथा वो हमेशा गरीब किसान के हितों की बात करते थे। यदि किसान मायूस होगा तो देश तबाह हो जायेगा।
रालोद नेता जयन्त चौधरी ने कहा कि आप सबको मालूम है कि जब वे हाथरस प्रकरण पर पीड़ित पक्ष से मिलने व उसे न्याय दिलाने की मंशा से वहां पहुंचे तो उन पर लाठियां फटकारी गयी। यह हम सबके अस्तित्व की लड़ाई है। यह लड़ाई अभी लम्बी लड़ी जानी है।