मिशेल के प्रत्यर्पण और मेरे 'कर्ज चुकाने के ऑफर' का कोई कनेक्शन नहीं, प्लीज पैसा ले लीजिए: माल्या
विजय भारतीय बैंकों से पैसे लेकर विदेश भागने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या ने बैंकों को उनका पैसा चुकाने के अपने प्रस्ताव का मिशेल के प्रत्यर्पण से किसी तरह का कोई लिंक होने से इनकार किया है। माल्या ने कहा कि वह उन किस्सों को खत्म करना चाहते हैं कि वे बैंकों का पैसा लेकर भाग गए हैं। बता दें कि ब्रिटेन की अदालत में माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई चल रही है।
मंगलवार को मिशेल को दुबई से भारत लाने में मिली सफलता
मंगलवार देर रात अगुस्टा वेस्टलैंड डील में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को दुबई से भारत लाने में सफलता मिली थी। इसके बाद बुधवार को माल्या ने ट्वीट कर कहा था कि वह बैंकों का 100 प्रतिशत मूलधन (सिर्फ कर्ज की रकम, ब्याज नहीं) चुकाने को तैयार है। इसके बाद माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं। माल्या ने फिर ट्वीट कर इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करने की कोशिश की है।
'मेरे ऑफर और मिशेल प्रत्यर्पण में कोई लिंक नहीं, प्लीज ले लो पैसे'
वियज माल्या ने गुरुवार को किए अपने ट्वीट में लिखा, वह समझ नहीं पा रहे हैं कि उनके सेटलमेंट के ऑफर और उनके या दुबई से हालिया प्रत्यर्पण को कैसे लिंक किया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'मैं जहां भी रहूं बस यही अपील करता हूं कि प्लीज पैसे ले लीजिए। मैं चाहता हूं कि यह किस्सा खत्म हो कि मैंने पैसे चुराए हैं।'
Respectfully to all commentators, I cannot understand how my extradition decision or the recent extradition from Dubai and my settlement offer are linked in any way. Wherever I am physically,my appeal is “Please take the money”. I want to stop the narrative that I stole money
— Vijay Mallya (@TheVijayMallya) December 6, 2018
बुधवार को माल्या ने दिया था प्रिंसीपल अमाउंट चुकाने का ऑफर
इससे पहले बुधवार को मिशेल के प्रत्यर्पण के तुरंत बाद माल्या ने कुछ ट्वीट्स कर पैसे वापस करने का ऑफर दिया था। माल्या ने लिखा था, 'नेता और मीडिया लगातार जोर-जोर से मुझे ऐसा डिफॉल्टर बता रहे हैं जो सरकारी बैंकों का पैसा लेकर भाग गया। यह सब झूठ है। मेरे साथ उचित व्यवहार क्यों नहीं किया जाता और मैंने कर्नाटक हाई कोर्ट के सामने लोन सेटलमेंट का जो विस्तृत प्लान पेश किया था, उसकी इतनी ही जोर-शोर से बात क्यों नहीं होती है? दु:खद।'