सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर संघर्ष जारी, हिंसक प्रदर्शन पर गृह मंत्रालय ने लिया संज्ञान
विरोध प्रदर्शन के बीच बुधवार को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के कपाट शाम पांच बजे खुल गए। इस दौरान पारंपरिक पूजा विधि से आरती की गई। भक्त रात 10.30 बजे तक भगवान अयप्पा के दर्शन कर सकेंगे। 22 अक्टूबर तक दर्शन किए जा सकेंगे। इससे पहले मंदिर में प्रवेश को लेकर सुबह से ही तनाव बना हुआ है। कुछ महिलाएं मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंचीं। इससे पहले उग्र प्रदर्शनकारी हिंसा पर उतर आए थे। प्रदर्शनकारियों ने पत्रकारों को भी निशाना बनाया। वहीं, गृह मंत्रालय ने मामले में संज्ञान लिया है तथा प्रशासन ने पंपा, नीलक्कल,सनिधनम और इलावुंगल में धारा 144 लगा दी है।
शाम को एक बस पर निलक्कल बेस कैंप के पास प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी की। इसमें यात्रियों के साथ पत्रकार भी मौजूद थे। वहीं, पुलिस वालों ने पम्पा के पास पार्क किए गए वाहनों को तोड़ दिया। इसके साथ ही सबरीमाला कर्मा समिति ने कल राज्यव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
सुप्रीम कोर्ट के हर उम्र की महिलाओं के मंदिर के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटाने के फैसले के बाद पहली बार मंदिर के कपाट खुले हैं। कोर्ट के फैसले के बावजूद महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को रोकने की कोशिश की जा रही है। कोर्ट के फैसले के चलते हर उम्र की महिला श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में जुटने लगी। वहीं, दूसरी ओर वो लोग भी वहां डेरा जमाए बैठे रहे, जो महिलाओं के प्रवेश के सख्त खिलाफ है।
दिनभर बना रहा तनाव
10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को लेकर दिनभर विरोध प्रदर्शन चला तथा लोग हिंसा पर तर आए। प्रदर्शनकारियों ने बसों पर पथराव किया, मीडियाकर्मियों को भी निशाना बनाया। पंबा से करीब 30 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। इस बीच मंदिर परिसर के बाहर विरोध-प्रदर्शन और तनाव के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। 800 पुरुष और 200 महिलाओं सहित एक हजार सुरक्षाकर्मियों को निलेक्कल और पंपा बेस कैंप पर तैनात किया गया था। 500 सुरक्षाकर्मियों को सन्निधानम में तैनात किया गया था।
महिलाओं को जाने से रोका गया
मंदिर तक जाने वाले रास्ते से ही 10 से 50 वर्ष के उम्र के बीच की महिलाओं को वापस लौटाया जा रहा था। भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला भक्त निलक्कल में कई वाहनों को रोक-रोकर चेक कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाओं को आगे जाने से रोक दिया। जिसके चलते तनाव और बढ़ गया था। हालात न बिगड़ें इसके लिए पुलिस भी पूरी सावधानी बरत रही थी। ऐसी ही एक महिला श्रद्धालु माधवी को उसके बच्चों के साथ बीच रास्ते से ही वापस लौटा दिया गया। मंदिर परिसर से करीब 20 किलोमीटर दूर निलक्कल बेस कैंप में भगवान अयप्पा के बहुत सारे भक्त ठहरे हुए थे।
Kerala: A bus, carrying journalists among other passengers, was vandalised at Laka near Nilakkal base camp by protesters this evening. Stones were pelted on the bus. #SabarimalaTemple pic.twitter.com/5JVJtRLLmQ
— ANI (@ANI) 17 October 2018
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मिला प्रवेश का अधिकार
2006 में राज्य के यंग लॉयर्स असोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की।इसके बावजूद अगले 10 साल तक महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का मामला लटका रहा। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के ट्रस्ट त्रावणकोर देवासम बोर्ड से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति न देने पर जवाब मांगा था। बोर्ड ने कहा था कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और इस वजह से मंदिर में वही बच्चियां व महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं, जिनका मासिक धर्म शुरू न हुआ हो या फिर खत्म हो चुका हो।
7 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख जाहिर किया था कि वह सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के पक्ष में है। 28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी।