सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद छोड़ी, बजट को भाजपा समर्थक भी नहीं करेंगे स्वीकार-चिदंबरम
शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का आम बजट पेश किया। इस पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि इस बजट में ऐसा कुछ नहीं है जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, निजी निवेश को प्रोत्साहित करने और रोजगार के अवसर पैदा करने की उम्मीद छोड़ चुकी है। शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिदंबरम ने कहा, 'मैंने हाल के वर्षों का सबसे लंबा बजट भाषण देखा। यह 160 मिनट तक चला। मुझे समझ नहीं आया कि बजट 2020-21 से क्या सन्देश देने का इरादा था। मुझे इस बजट में कोई यादगार विचार या बयान नहीं दिखा। उन्होंने कहा कि अगले साल 6-6.5 फीसदी की वृद्धि का दावा आश्चर्यजनक नहीं बल्कि गैर जिम्मेदाराना है। बजट में ऐसा कुछ नहीं जिससे ये मुमकिन हो सके।
'सरकार नहीं मान रही कि अर्थव्यवस्था संकट में है'
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार यह भी नहीं मान रही कि अर्थव्यवस्था संकट में है और सुधार में यकीन नहीं रखती। पिछली छह तिमाही में विकास दर में लगातार गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में सुधार के दिए सुझावों को भी वित्त मंत्री ने खारिज कर दिया।उन्होंने सवाल किया, 'क्या वित्त मंत्री ने आर्थिक समीक्षा नहीं पढ़ी? मुझे लगता है कि नहीं पढ़ी।'
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि खाद्य सब्सिडी और उर्वरक सब्सिडी कम कर दी गई है। पेट्रोलियम सब्सिडी में मामूली बढ़ोतरी इस बात की दर्शाती है कि तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है। इससे लगता है कि लोगों को कीमत के मोर्चे पर कोई राहत नहीं मिलेगी। कृपया याद रखें कि सीपीआई मुद्रास्फीति 7 प्रतिशत और खाद्य मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत से अधिक है।
'जनता ऐसा बजट नहीं चाहती थी'
उन्होंने कहा कि यह एक तरह से पुराने कार्यक्रमों की लिस्ट है। यहां तक कि बीजेपी समर्थक भी बजट भाषण के किसी भी विचार को स्वीकार नहीं कर सकते। चिदंबरम ने कहा कि जनता ऐसा बजट नहीं चाहती थी और इस बजट के लिए भाजपा को वोट नहीं दिया था। चिदबंरम ने कहा कि सरकार 2019-20 (चालू वर्ष) में, प्रमुख बजट अनुमानों के लक्ष्यों में से किसी को पूरा करने में विफल रही तो इस बात की कोई उम्मीद नहीं कि वह 2020-21 के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करेगी।