लॉकडाउन में यूपी, बिहार के 40 लाख से ज्यादा श्रमिक फंसे, स्पेशल ट्रेन से उम्मीद बढ़ी
कहने को तो एक मई को मजदूरों के हक की बात और उनके विकास की बात होती है। लेकिन इस बार यह दिन कुछ अलग है। 40 दिन के लॉकडाउन का सामना कर रहे देश के 10 करोड़ प्रवासी श्रमिक (एनजीओ अजीविका रिपोर्ट) इस समय जीवन और अजीविका की लड़ाई लड़ रहे हैं। हालत यह है कि इनमें से लाखों अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर एक अदद बस और ट्रेन की मदद का इंतजार कर रहे हैं कि कोई सरकार उनकी फरियाद सुन ले और वह अपने लोगों के बीच अपने घर पहुंच जाय। लॉकडाउन की ही रिपोर्ट (मजदूर किसान शक्ति संघटन के संस्थापक सदस्य निडिल ने कनिका शर्मा द्वारा तैयार रिपोर्ट का हवाला आउटलुक को दिया है) के अनुसार देश में अब तक 270 मजदूर अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से ज्यादातर असमय मौत के शिकार हुए हैं। 24 मार्च की आधी रात से लगे लॉकडाउन के बीच अनेक हृदयविदारक उदाहरण सामने आए हैं, जब लोग मजबूरी में पैदल ही अपने घर को चल दिए हैं।
उत्तर प्रदेश-बिहार के सबसे ज्यादा लोग
श्रमिकों में बढ़ती घबराहट का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह अपील करनी पड़ी है कि श्रमिक पैदल अपने घरों की ओर न निकले, सरकार उनके घर वापसी की व्यवस्था कर रही है। प्रदेश सरकार से मिली जानकारी के अनुसार अब तक दिल्ली से चार लाख और हरियाणा से 12 हजार प्रवासी श्रमिकों को प्रदेश में लाया जा चुका है। सूत्रों के अनुसार सरकार का अनुमान है कि करीब 8-10 लाख प्रवासी श्रमिकों को विभिन्न राज्यों से लाया जाएगा। फिलहाल राज्य सरकार बसों के जरिए इन मजदूरों को लाने की बात कर रही है।
उत्तर प्रदेश की तरह बिहार भी उन राज्यों में से एक है, जहां के श्रमिक विभिन्न राज्यों में फंसे हुए है। राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के अनुसार अब तक विभिन्न राज्यों में रह रहे बिहार के 17 लाख श्रमिकों ने वित्तीय सहायता प्राप्त की है। कुल 27 लाख लोगों ने मदद मांगी है। ऐसे में जाहिर है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बस से नहीं लाया जा सकता है। इसलिए केंद्र सरकार को तुरंत प्रवासी मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन चलानी चाहिए। इस बीच कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि सरकार को श्रमिकों के लिए तुरंत स्पेशल ट्रेन चलानी चाहिए। सरकार बसों के जरिए, उन्हें लाकर क्रूर मजाक रही है। अकेले यूपी, बिहार के 50 लाख श्रमिक फंसे हुए हैं। सरकार को तुरंत स्पेशल ट्रेन चलानी चाहिए।
दिल दहलाने वाली रिपोर्ट
स्ट्रैडड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क की लॉकडाउन में श्रमिकों की स्थिति पर तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार संगठन का 11,159 कामगारों से संपर्क हुआ। इसमें से 50 फीसदी के पास एक दिन से कम का राशन बचा हुआ था। 96 फीसदी श्रमिकों को सरकार की तरफ से कोई राशन नहीं मिला और 70 फीसदी लोगों को कोई पका हुआ खाना नहीं मिला। इसी तरह 89 फीसदी कामगारों को उनके मालिकों द्वारा लॉकडाउन में कोई वेतन नहीं दिया गया है।
स्पेशल ट्रेन की मंजूरी
शुक्रवार को राज्यों की अपील के बाद गृहमंत्रालय ने स्पेशल ट्रेन चलाने की मंजूरी दे दी है। इसके लिए राज्य और रेलवे मंत्रालय को मिलकर प्लान बनाना होगा। जिसके आधार पर स्पेशल ट्रेन चलाई जाएंगी। इसी कड़ी में आज पहली श्रमिक ट्रेन तेलंगाना से झारखंड के लिए चलाई गई है। इस खबर पर गाजियाबाद में काम करने वाली अंजू का कहना है कि शायद हम भी अपने घर जालौन जा पाए। यहां तो काम-धंंधा सब खत्म हो गया है, वहां अपनों के बीच रहेंगे तो सुकून रहेगा।