मध्यप्रदेश: नरोत्तम मिश्रा के पेड न्यूज में घिरने पर बंटी भाजपा
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद कहा कि आयोग का निर्णय तो मानना पड़ेगा। वहीं दमोह के भाजपा सांसद प्रह्लाद पटेल ने निर्वाचन आयोग के फैसले का सम्मान किया है।
चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद मध्य प्रदेश भाजपा दो धड़ों में बंटी दिखाई दे रही है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का साफ़ कहना है कि आयोग का फैसला तो हर हाल में मानना चाहिए। उन्होंने कहा, “आयोग के निर्णय को मानना पड़ेगा. आयोग के फैसले का सम्मान करता हूँ. आदेश तो आदेश है।”
यह पहला मौका नहीं है जब गौर ने शिवराज सिंह चौहान को आंखे दिखाई हो। इसी महीने जब किसान आंदोलन उग्र होने से परेशान शिवराज सरकार की मुश्किलें कम होती नज़र नहीं आ रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने शिवराज सरकार की मुश्किलें यह कहकर और बढ़ा दी थी कि किसान आंदोलन से कांग्रेस का कोई लेना-देना नहीं है।
गौर का कहना था की सरकार किसानों का दर्द और गुस्सा भांप पाने में असमर्थ रही है। इस वजह से किसानों का आंदोलन इस हद तक बढ़ गया।
पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सरताज सिंह ने भी मंत्री नरोत्तम मिश्रा से आयोग के फैसले के बाद इस्तीफा देने की बात कही है। सरताज सिंह ने कहा, “नरोत्तम मिश्रा को इस्तीफा दे देना चाहिये। निर्वाचन आयोग पर साल उठाना गलत है।”
जुलाई 2016 में मोदी सरकार के मार्गदर्शक मंडल की अवधारणा के अंतर्गत, गौर (85) और सरताज सिंह (76) को उनकी उम्र के चलते मंत्री पद खोना पड़ा था। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के दौरान गौर और सरताज को हटाते हुए मंत्रिमंडल का विस्तार किया था। इस बीच प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान चुनाव आयोग के फैसले से असहमति रखते हैं।
भले ही शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के अधिकांश सहयोगी निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद कुछ भी कहने से कतराते रहे हों, पर दमोह से भाजपा के संसद प्रह्लाद पटेल ने निर्वाचन आयोग के फैसले को स्वागत योग्य बता कर प्रदेश भाजपा के अंतर्विरोध को उजागर कर दिया है। अपने एक ट्वीट में प्रह्लाद ने कहा, “निर्वाचन आयोग के फैसले का सम्मान और स्वागत। निर्वाचन से जुड़े फैसले तय समयसीमा में हो ताकि साधनों का दुरूपयोग करने का कोई दुस्साहस न कर सके।”