मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में कोर्ट ने रखा फैसला सुरक्षित, सजा का ऐलान 11 फरवरी को
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने दोषियों की सजा पर फैसला 11 फरवरी के लिए सुरक्षित रख लिया है। मंगलवार को मामले में ब्रजेश ठाकुर समेत अन्य दोषियों को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में आज इस मामले पर सजा पर बहस हुई। सीबीआई ने एनजीओ के मालिक ब्रजेश ठाकुर के लिए उम्रकैद की मांग की है।
28 फरवरी को साकेत पॉक्सो कोर्ट ने चार फरवरी की तारीख तय की थी। कोर्ट ने 20 जनवरी को ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को दोषी ठहराया था। वही, आरोपी विक्की के खिलाफ सबूत नहीं मिलने पर उसे बरी कर दिया गया था जबकि, तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी को जेजे एक्ट का दोषी पाया था। इस अपराध के लिए अधिकतम सजा छह महीने थी जो वह पहले ही काट चुकी हैं। इसलिए उसे अदालत ने जमानत दे दी।
टिस की रिपोर्ट पर हुआ था खुलासा
मामले में सीबीआई जांच में पाया गया था कि शेल्टर होम में पीड़िताओं के साथ ना केवल वहां के कर्मचारी गलत काम कर रहे थे, बल्कि बिहार सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी भी उसमें शामिल रहे। बच्चियों का यौन शोषण हुआ। यह मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) द्वारा 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपने के बाद सामने आया थ। इस रिपोर्ट में किसी शेल्टर होम में पहली बार नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न का खुलासा हुआ था।
ये पाए गए दोषी
बृजेश ठाकुर के अलावा कोर्ट ने इंदू कुमारी (बालिकागृह अधीक्षक), मीनू देवी (बालिकागृह में गृह माता), मंजू देवी (काउंसलर), चंदा देवी (बालिकागृह में गृह माता), नेहा कुमारी (नर्स), हेमा मसीह (केस वर्कर), किरण कुमारी (सहायक), रवि कुमार, विकास कुमार (सीडब्लूसी का सदस्य), दिलीप कुमार (सीडब्लूसी का अध्यक्ष), विजय तिवारी (चालक), गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, रोजी रानी, रामानुज ठाकुर उर्फ मामू, रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर, डॉक्टर अश्विनी, नरेश प्रसाद और साइस्ता परवीन उर्फ मधु को दोषी करार दिया। वहीं, रवि रोशन दोषी ठहराए जाने के बाद कोर्ट में ही रोने लगा और आत्महत्या करने की धमकी देने लगा। इस मामले में विक्की नाम के व्यक्ति को कोर्ट ने बरी कर दिया।
मंजू वर्मा को देना पड़ा था इस्तीफा
मामले में बिहार की समाज कल्याण मंत्री और तत्कालीन जदयू नेता मंजू वर्मा को भी आलोचना का शिकार होना पड़ा था जब उनके पति के ठाकुर के साथ संबंध होने के आरोप सामने आये थे। मंजू वर्मा ने आठ अगस्त, 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले को सात फरवरी, 2019 को बिहार के मुजफ्फरपुर की स्थानीय अदालत से दिल्ली के साकेत जिला अदालत परिसर की पॉक्सो अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।