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15 October 2021

विजयादशमी पर मोहन भागवत ने की शस्त्र पूजा, बोले- बढ़ती आबादी से देश में कई परेशानी, जनसंख्या नीति पर दोबारा विचार की जरूरत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आज यानी शुक्रवार को अपना 96वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस मौके पर नागपुर में हो रहे आरएसएस के कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में जोर दिया कि देश की युवा पीढ़ी को भारत के इतिहास का ज्ञान होना चाहिए ताकि उससे सीखकर आगे बढ़ा जा सके। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण की भी बात कही। इस दौरान उन्होने जनसंख्या नीति पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए। 50 साल आगे तक का विचार कर नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सभी पर समान रूप से लागू करना चाहिए, जनसंख्या का असंतुलन देश और दुनिया में एक समस्या बन रही है।

नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही आरएसएस की अलग-अलग शाखाओं पर स्थापना दिवस मनाया जाने लगता है। विजयादशमी के दिन नागपुर में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत उपस्थित रहे। मोहन भागवत ने पहले शस्त्र पूजन किया. इसके बाद मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया।

इस दौरान अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि यह वर्ष हमारी स्वाधीनता का 75वां वर्ष है। 15 अगस्त 1947 को हम स्वाधीन हुए। हमने अपने देश के सूत्र देश को आगे चलाने के लिए स्वयं के हाथों में लिए। स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हमारी यात्रा का वह प्रारंभ बिंदु था। हमें यह स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली।

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उन्होंने कहा कि जिस दिन हम स्वतंत्र हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत दुर्धर वेदना भी अपने मन में अनुभव की वो दर्द अभी तक गया नहीं है। अपने देश का विभाजन हुआ, अत्यंत दुखद इतिहास है वो, परन्तु उस इतिहास के सत्य का सामना करना चाहिए, उसे जानना चाहिए।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जिस शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है। पुनरावृत्ति टालने के लिए, खोई हुई हमारे अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए। खासकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए। खोया हुआ वापस आ सके खोए हुए बिछड़े हुए वापस गले लगा सकें।

मोहन भागवत ने इस दौरान कहा कि विभाजन की टीस अबतक नहीं गई है। वह अत्यंत दुखद इतिहास है। लेकिन इस इतिहास का सामना करना चाहिए। खोई हुई एकता और अखंडता को दोबारा लाने के लिए इस इतिहास को जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी पीढ़ियों को इतिहास के बारे में बताया जाना चाहिए जिससे की आने वाली पीढ़ी भी अपने आगे की पीढ़ी को इस बारे में बताए। उन्होंने कहा कि समाज की आत्मीयता व समता आधारित रचना चाहने वाले सभी को प्रयास करने पड़ेंगे। सामाजिक समरसता के वातावरण को निर्माण करने का कार्य संघ के स्वयंसेवक सामाजिक समरसता गतिविधियों के माध्यम से कर रहे हैं।

नागपुर में संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि समाज की आत्मीयता व समता आधारित रचना चाहने वाले सभी को प्रयास करने पड़ेंगे। सामाजिक समरसता के वातावरण को निर्माण करने का कार्य संघ के स्वयंसेवक सामाजिक समरसता गतिविधियों के माध्यम से कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज का 400वां प्रकाश पर्व है। वह धार्मिक कट्टरता के खिलाफ खड़े होने के लिए शहीद हो गए थे। जो भारत में बहुत प्रचलित था। उन्हें "हिंद की चादर" या "हिंद की ढाल" की उपाधि से सराहा गया।

भागवत ने आगे कहा कि विभिन्न जातियों, समुदायों और विभिन्न क्षेत्रों के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता के लिए महान बलिदान और तपस्या की। समाज ने भी इन बहादुर आत्माओं के साथ एक एकीकृत इकाई के रूप में गुलामी का दंश सहा। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से सीखने की जरूरत है। भागवत ने कहा कि सोशल मीडिया आग में घी डालने का काम कर रहा है। देश में अराजकता फैलाने का काम हो रहा है।

मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना जा रहा है, चला जाएगा। अपनी सुधरी हुई आदतों को फिर से नहीं बिगाड़ना इसका हमें ध्यान रखना पड़ेगा। हमको अपनी आदतें नहीं बदलनी चाहिए। कोरोना काल में जो विवाह हुए हैं, वे कम खर्चे में हुए हैं। उन्होंने कहा कि मंदिरों की जमीन बेची गई। मंदिरों की संपत्ति हड़पी जाती है। जिन लोगों को हिंदू देवी देवताओं पर श्रद्धा नहीं है, उनके लिए हिंदू मंदिरों की संपत्ति का इस्तेमाल किया जाता है। हिंदुओं को भी आवश्यकता है, वह संपत्ति उनपर नहीं लगाई जाती है।

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TAGS: Nagpur, Vijaydashmi, 'Shastra Pooja', RSS workers, mohan bhagwat, parade, 'bow and arrow' weapons
OUTLOOK 15 October, 2021
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