नेशनल हेराल्ड मामला: यंग इंडिया को राहत देने से अदालत का इनकार
समाचार एजेंंसी पीटीआई-भाषा के अनुसार न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति चंद्र शेखर की पीठ ने कंपनी से आयकर आकलन अधिकारी से संपर्क करने को कहा जिसके बाद कंपनी ने अपनी याचिका वापस ले ली। याचिका वापस ले लिए जाने के बाद अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
यंग इंडिया ने संपत्तियों के अवैध उपयोग संबंधी नेशनल हेराल्ड मामले में आयकर की कार्यवाही पर रोक लगाने और कंपनी के खिलाफ दिए गए नोटिस को खारिज करने का आदेश देने की अपील करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। कंपनी को मूल्यांकन वर्ष 2011-12 के संंबंध में नोटिस जारी किए गए थे।
नेशनल हेराल्ड अखबार जवाहरलाल नेहरू ने सन 1938 में शुरू किया था। इसका प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी 'एजेएल' नाम की कंपनी करती थी। एजेएल ने बाद में हिंदी में 'नवजीवन' और उर्दू में 'क़ौमी आवाज़' अखबार भी शुरू किए लेकिन कंपनी की खराब माली हालत की वजह से तीना अखबार बंद करने पड़े। और कंपनी कर्ज में डूब गई।
एजेएल को कर्ज से उबारने और नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन फिर से शुरू करने के लिए यंग इंडिया नाम की एक नई कंपनी बनाई गई जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया।
एजेएल को मदद करने के लिए कांग्रेस ने यंग इंडिया को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस पूरी कवायद को नेशनल हेराल्ड की हजारों करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी हथियाने की साजिश करार देते हुए साल 2012 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। तभी से यह मामला आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों की निगाहों में है।