जस्टिस बोबडे की अध्यक्षता में 9 जजों की बेंच 13 जनवरी से करेगी सबरीमला मामले की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर मामले की सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता में नौ न्यायाधीशों की पीठ गठित की है। प्रधान न्यायाधीश के अलावा पीठ में अन्य न्यायाधीश आर. भानुमति, अशोक भूषण, एल एन राव, एम एम शांतागौडर, एस ए नजीर, आर एसरेड्डी, बी आर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं।
सबरीमला मंदिर मुद्दे पर नौ सदस्यीय संविधान पीठ विचार करेगी
केरल के सबरीमला मंदिर मे सभी आयु वर्ग की महिलओं को प्रवेश देने के शीर्ष अदालत के फैसले से जुड़े तमाम मुद्दों के अलावा मुस्लिम और पारसी समुदाय की महिलाओं के साथ कथित भेदभाव के मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान पीठ 13 जनवरी से सुनवाई करेगी।
शीर्ष अदालत ने इस संबंध में सोमवार को जारी एक नोटिस में सूचित किया कि इंडियन यंग लायर्स एसोसिएशन की याचिका पर शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिका 13 जनवरी को सूचीबद्ध की जा रही है। इस फैसले में कोर्ट ने सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलओं को प्रवेश की अनुमति दी थी।
पिछले साल 14 नवंबर को पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 3-2 के बहुमत के फैसले में सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी सितंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया था।
हालांकि पीठ ने कहा था कि धर्मस्थलों में महिलाओं और लड़कियों के प्रवेश पर प्रतिबंध की धार्मिक परंपराओं की संवैधानिक वैधता को लेकर छिड़ी बहस सिर्फ सबरीमला प्रकरण तक ही सीमित नहीं है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि मस्जिदों और दरगाह में मुस्लिम महिलओं के प्रवेश और गैर पारसी पुरूष से विवाह करने वाली पारसी समुदाय की महिलाओं को परिजनों के अंतिम संस्कार से संबंधित अज्ञारी जैसे पवित्र स्थान पर प्रवेश पर पाबंदी है। पीठ ने कहा था कि यही समय है कि सुप्रीम कोर्ट व्यापक न्याय के लिए एक न्यायिक नीति तैयार करे।