मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले पर फैसला देने वाले जज का इस्तीफा नामंजूर
हैदराबाद की मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाने के बाद स्पेशल एनआईए कोर्ट में अपने पद से इस्तीफा देने वाले जज रविंदर रेड्डी के इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया गया है।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने एनआई के सूत्रों के हवाले से बताया कि मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में फैसला सुनाने के बाद अपने पद से इस्तीफा देने वाले जज रविंदर रेड्डी के इस्तीफे को नामंजूर कर दिया गया है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाई कोर्ट ने जज रेड्डी से तुरंत ड्यूटी पर लौटने को कहा है।
The resignation of NIA special court judge Ravinder Reddy, who delivered verdict in #MeccaMasjidBlast case, has been rejected by High Court of Andhra Pradesh and Telangana. He has been asked to attend to his duties immediately: Sources pic.twitter.com/JQWLdLcpJh
— ANI (@ANI) April 19, 2018
गौरतलब है कि मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में फैसला सुनाने के तुंरत बाद जज रेड्डी ने पद छोड़ दिया था। रेड्डी ने अपने इस्तीफे के लिए निजी कारणों का हवाला दिया था और कहा था कि इसका मक्का मस्जिद के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है। एक अधिकारी ने कहा था कि जज रेड्डी काफी समय से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे थे।
कब हुआ था धमाका?
18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हैदराबाद की मक्का मस्जिद में एक ब्लास्ट हुआ था। इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 58 लोग घायल हुए थे। इस घटना के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए हवाई फायरिंग की थी, जिसमें पांच और लोग मारे गए थे। इस घटना में 160 चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे।
ये थे आरोपी
जांच के बाद इस घटना को लेकर 10 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें अभिनव भारत के सभी सदस्य शामिल थे। स्वामी असीमानंद सहित, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा उर्फ अजय तिवारी, लक्ष्मण दास महाराज, मोहनलाल रतेश्वर और राजेंद्र चौधरी को मामले में आरोपी घोषित किया गया था। दो आरोपी रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे अभी फरार हैं। एक प्रमुख अभियुक्त और आरएसएस के कार्यवाहक सुनील जोशी को जांच के दौरान ही गोली मार दी गई थी।
कौन है स्वामी असीमानंद
स्वामी असीमानंद एक पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता थे। उन्हें मक्का मस्जिद विस्फोट के सिलसिले में 19 नवंबर, 2010 को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने लिखित तौर पर कहा था कि अभिनव भारत के कई सदस्यों ने मस्जिद में बम विस्फोट की साजिश रची थी। बाद में स्वामी असीमानंद को 23 मार्च 2017 को जमानत दे दी गई।
असीमानंद को अजमेर ब्लास्ट केस में पहले से ही बरी कर दिया गया था। साथ ही मालेगांव और समझौता धमाके में भी उन्हें पहले ही जमानत दी जा चुकी है।