निर्भया मामले में केंद्र की अर्जी खारिज, हाई कोर्ट ने कहा- दोषियों को अलग-अलग नहीं हो सकती फांसी
दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्भया के दोषियों को जल्द-से-जल्द फांसी पर लटकाने की मांग वाली केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सभी दोषियों को एकसाथ ही फांसी होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्भया के दोषियों को 7 दिन के अंदर सभी कानूनी विकल्पों को आजमाने की डेडलाइन भी दी है। दरअसल, केंद्र सरकार ने दोषियों को जल्द फांसी देने के लिए अदालत में अर्जी दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए रविवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज की तारीख तय की थी।
बता दें कि निर्भया केस को दोषियों की डेथ वारंट दो बार टल चुका है। दोषी अलग-अलग मामले में कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करते हुए लगातार डेथ वॉरंट टलवाने में सफल हो जा रहे थे। लेकिन अब हाई कोर्ट ने उन्हें 7 दिन के अंदर ही सभी वैकल्पिक उपाय आजमाने को कहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने दोषियों की फांसी में देरी पर अथॉरिटीज को फटकार भी लगाई है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एक सप्ताह के बाद डेथ वॉरंट लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
केंद्र ने अपनी याचिका में क्या कहा था
केंद्र सरकार ने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि चारों दोषी न्याय प्रणाली का गलत फायदा उठाकर फांसी को डालने की कोशिश कर रहे हैं। लिहाजा जिन दोषियों की दया याचिका खारिज हो चुकी है या किसी भी फोरम में उनकी कोई याचिका लंबित नही हैं, उनको फांसी पर लटकाया जाए। किसी एक दोषी की याचिका लंबित होने पर बाकी 3 दोषियों को फांसी से राहत नही दी जा सकती।
रविवार को सुरक्षित रख लिया था फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना आदेश रविवार को सुरक्षित रख लिया था जिसमें निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों अक्षय, पवन, मुकेश और विनय के खिलाफ फांसी की सजा के वारंट को अनिश्चित काल के लिए रोक दिया है।
मंगलवार को क्या बोले थे निर्भया के माता-पिता के वकील
निर्भया के माता-पिता के वकीलों ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत के समक्ष मामले को प्रस्तुत किया और सामूहिक दुष्कर्म व हत्या के चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट से रोक हटाने की मांग वाली केंद्र की याचिका के जल्द निस्तारण की मांग की।
निर्भया के माता-पिता के वकील जितेंद्र झा ने कहा, 'न्यायमूर्ति कैत ने जवाब दिया कि उन्होंने शनिवार और रविवार को सुनवाई की, जिससे पता चला कि अदालत मामले की अर्जेसी को समझती है और यह भी आश्वासन दिया है कि वह जल्द से जल्द आदेश को पारित करेंगे।'
दोषियों के पास अभी भी कई कानूनी विकल्प
गौरतलब है कि निचली अदालत ने जेल प्रिजन मैनुअल के हिसाब से अपने आदेश में कहा था कि ऐसा मामला जहां पर एक से ज्यादा दोषी हो उनको एक साथ ही फांसी के फंदे पर लटकाया जा सकता है और क्योंकि इस मामले में अलग-अलग दोषियों के पास अभी भी कानूनी विकल्प से लेकर दया याचिका तक का विकल्प मौजूद है. लिहाजा फांसी अगले आदेश तक टाली गई है।
22 जनवरी को पहली बार टली थी फांसी
चार दोषियों विनय, पवन, अक्षय और मुकेश को पहले 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी दी जाने वाली थी और बाद में यह समय बदलकर एक फरवरी को सुबह छह बजे कर दिया गया, लेकिन 31 दिसंबर को मुकेश की ओर से ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर की गई कि अन्य दोषियों ने अभी तक अपने कानूनी उपायों का उपयोग नहीं किया है और उन्हें अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती।
दोषी अक्षय की याचिका है लंबित
इस मामले में तीन लोगों की क्यूरेटिव पिटिशन सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है जबकि मुकेश और विनय की दया याचिका भी राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है। जबकि अक्षय की दया याचिका फिलहाल राष्ट्रपति के पास लंबित है। दोषियों की तरफ से नई-नई याचिका लगाने और कोर्ट में उनके लंबित रहने के चलते ही दो बार उन्हें फांसी दिए जाने के लिए जारी किया गया।
इसलिए रोका गया डेथ वारंट
लंबित याचिकाओं की वजह से डेथ वारंट भी पटियाला हाउस कोर्ट को रोकना पड़ा है। 1 फरवरी को इन चारों को फांसी देने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट डेथ वारंट जारी कर चुका था। विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित होने के चलते पटियाला हाउस कोर्ट को डेथ वारंट को रोकना पड़ा था।