सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्यों पर लगाई रोक, ऑड-ईवन पर सरकार से किया सवाल
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि राज्य मशीनरी ठीक से काम नहीं कर रही है। केंद्र और दिल्ली सरकार को इस पर काम करना चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर रविवार को तीन साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। घरों के अंदर भी कोई सुरक्षित नहीं है, यह अत्याचार है। साथ ही कोर्ट ने निर्माण और तोड़फोड़ पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इसका उल्लंघन अदालत करने वाले किसी भी व्यक्ति पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा, यूपी और दिल्ली के मुख्य सचिवों को बुधवार को पेश होने का आदेश है। कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कोई भी बिजली कटौती नहीं होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी डीजल जनरेटर का इस्तेमाल न किया जाए। पीठ ने पुलिस और राज्यों के स्थानीय प्रशासन को यह सुनिश्चित करने निर्देश दिए हैं कि अब किसी तरह की पराली जलने की घटना न हो। कोर्ट ने कचरे के जलाने पर भी पाबंदी लगा दी है और इसका उल्लंघन करने पर पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। नगर निगम निकायों को कहा गया है कि वह यह तय करें कि खुले में कोई कचरा न जलाया जाए।
'जीवन का अधिकार महत्वपूर्ण है'
जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की पीठ ने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह हर साल बेरोकटोक नहीं चल सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सभ्य देश में ऐसा नहीं हो सकता। जीवन का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है। हम पराली को जलाकर दूसरों को मरने देना चाहते हैं। हम इस तरह नहीं जी सकते।"
'हम कुुछ नहीं कर पा रहे हैं'
पीठ ने कहा, 'दिल्ली हर साल चोक हो रही है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं।' साथ ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों एक दूसरे पर दोष डालकर अपना पल्ला झाड़ लेती हैं। वायु प्रदूषण मामले में कोर्ट की मदद कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने पीठ को बताया, 'केंद्र सरकार के हलफनामे के अनुसार, पंजाब में पराली जलाने के मामले में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि हरियाणा में 17 प्रतिशत की कमी आई है।'
'दिल्ली न आने की दी जा रही है सलाह'
पीठ ने कहा कि लोगों को प्रदूषण के कारण दिल्ली नहीं आने की सलाह दी जा रही है, इसके लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। कोर्ट ने कहा, 'आप लोगों को मरने के लिए कह रहे हैं। आपके राज्य (पंजाब और हरियाणा) भी बुरी तरह प्रभावित हैं। क्या पंजाब और हरियाणा में प्रशासन बचा है? हर साल यह हो रहा है। हम राज्यों और पंचायतों के दायित्व को भी मजबूत करेंगे।'
ऑड-ईवन से क्या होगा फायदा
ऑड-ईवन पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि इस योजना को लागू करे के पीछे आपका क्या लॉजिक है। अगर डीजल की गाड़ियां बंद की जाती तो समझा जा सकता है। कारें कम प्रदूषण करती हैं तब आपको इस योजना को लागू करने से क्या फायदा मिलेगा। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से डाटा मांगा है कि योजना के लागू करने पर क्या प्रदूषण कम हुआ जबकि सड़कों पर ऑटो-टैक्सी तक नहीं चल रही है।
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इस हद तक खतरनाक हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट के पैनल ईपीसीए ने देश की राजधानी दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी घोषित की है और निर्माण कार्यों पर 5 नवबर तक रोक लगा दी है। साथ ही पंजाब और हरियाणा को सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार तक यहां स्कूल भी बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं।