आर्कबिशप के बयान पर बोले राजनाथ, धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि भारत किसी के भी खिलाफ धर्म या संप्रदाय के आधार पर भेदभाव नहीं करता है और देश में ऐसा करने की इजाजत भी नहीं है।
उनकी टिप्पणी दिल्ली के आर्कबिशप के उस बयान की पृष्ठभूमि में आई है, जिसमें उन्होंने देश में बने ‘‘उथल-पुथल वाले राजनीतिक माहौल’’ का जिक्र किया था और 2019 के आम चुनाव से पहले प्रार्थना अभियान शुरू करने की अपील की थी।
राजनाथ सिंह ने कहा , ‘‘भारत एक ऐसा देश है जहां किसी के भी खिलाफ धर्म या संप्रदाय या ऐसे किसी आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। ऐसी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।’’
राजधानी के सभी पादरियों को भेजे पत्र में दिल्ली के आर्कबिशप अनिल काउटो ने वर्ष 2019 के आम चुनाव से पहले एक प्रार्थना आंदोलन शुरू करने और शुक्रवार के दिन व्रत करने का अनुरोध किया था।
पत्र में ‘‘संविधान में निहित लोकतांत्रिक सिद्धांतों और देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने के लिए देश के अशांत राजनीतिक माहौल को खतरा बताते हुए ’’ कहा गया है कि ‘‘अपने देश और यहां के राजनीतिक नेताओं के लिए प्रार्थना करने की हमारी पवित्र प्रथा रही है लेकिन यह हम तब शुरू करें जब देश में चुनाव निकट आ रहा हो।’’ पत्र के मुताबिक, ‘‘हम वर्ष 2019 की ओर देखते हैं जब नई सरकार आएगी , उसे देखते हुए हमें हमारे देश के लिए प्रार्थना अभियान शुरू करना चाहिए।’’
इस पत्र के बाद भाजपा और आरएसएस की तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। मैं ऐसा कोई कदम नहीं उठाउंगा जिससे सांप्रदायिक सद्भाव को हानि पहुंचे। लेकिन अगर चर्च लोगों से मोदी सरकार न आने के लिए प्रार्थना करने को कहता है तो देश को सोचना पड़ेगा कि दूसरे धर्मों के लोग क्ैसी‘कीर्तन पूजा’ करेंगे।
दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने इस पत्र पर आपत्ति जतायी है और कहा है कि आर्कबिशप का समाज के नाम पर जारी यह राजनीतिक बयान है जिसकी हम निंदा करते हैं। उन्हें खयाल रखना चाहिए कि देश सुरक्षित हाथों में है। सबका साथ, सबका विकास सरकार का मूलमंत्र है। यदि आर्कबिशप को अपने पद की मर्यादा का जरा भी खयाल है तो उन्हें तुरंत यह पत्र वापस लेने का काम करना चाहिए।
वहीं, कैथोलिक चर्च के प्रवक्ता मुत्थु स्वामी ने मामले को लेकर प्रतिक्रिया दी और कहा कि पत्र किसी के विरोध में नहीं है। देश की बेहतरी और अगले लोकसभा चुनाव के लिए है।
आरएसएस ने उठाया धर्म परिवर्तन का मुद्दा
आरएसएस ने आर्कबिशप के इस पत्र को भारत के सेक्युलरिज्म और लोकतंत्र पर हमला करार दिया है। संघ विचारक राकेश सिन्हा ने एएनआई से बातचीत में आरोप लगाया, ‘यह वेटिकन का सीधा हस्तक्षेप है। उनका उत्तरदायित्व भारत के लिए नहीं पोप के लिए है।‘
उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार के आने के बाद चर्च आधारित एनजीओ को बाहर से आने वाली फंडिंग कम हो गई है क्योंकि कानून सख्त कर दिया गया है। चर्च इस पैसे का इस्तेमाल धर्म परिवर्तन कराने में करते थे। वो चाहते हैं कि उनका धर्म परिवर्तन का बिजनेस चलता रहे।‘