आश्वस्त नहीं कि लाभ पहुंचाने के लिए आधार श्रेष्ठ मॉडल हैः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि आधार लोगों को बेहतर सुविधाएं पहुंचाने का श्रेष्ठ मॉडल है बल्कि होना तो यह चाहिए कि सरकारी एजेंसियां कल्याणकारी योजनाओं का फायदा लोगों तक पहुंचाने के लिए उन तक पहुंचें।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की पांच सदस्यीय संविधान पीठ आधार कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने कहा, ‘हम इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि यह श्रेष्ठ मॉडल है। व्यक्ति को एक निवेदक नहीं होना चाहिए। सरकार को उसके पास जाना चाहिए और उसे लाभ प्रदान करना चाहिए।’ पीठ से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई ) के वकील ने कहा कि 12 अंकों वाले आधार ने लाभ पाने के लिए नागरिकों को सेवा मुहैया करने वालों के आमने-सामने ला दिया है।
पीठ ने कहा कि यूआईडीएआई का कहना है कि आधार पहचान करने का एक जरिया है लेकिन किसी को बाहर भी नहीं किया जाना चाहिए। यूआईडीएआई की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि विकास यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि लोग गरीबी से मुक्त हों। एक ओर लोगों को गरीबी से मुक्त कराना है, वहीं दूसरी ओर निजता का अधिकार भी है। यूआईडीएआई ने हाथ से मैला उठाने और वेश्यावृत्ति जैसी सामाजिक बुराइयों का जिक्र करते हुए कहा कि कानून के बावजूद ये बुराइयां समाज में व्याप्त हैं।