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20 April 2020

माल्या के प्रत्यर्पण की एक और बाधा दूर, ब्रिटिश हाईकोर्ट ने रद्द की भगोड़े कारोबारी की याचिका

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ब्रिटेन के हाईकोर्ट से विजय माल्या को बड़ा झटका लगा है। बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के चेयरमैन माल्या ने भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है। अब माल्या के पास ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 14 दिन हैं। गौरतलब है कि माल्या करीब 9,000 करोड़ रुपए की बैंक धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग का आरोपी है। अगर माल्या सुप्रीम कोर्ट में आवेदन करता है तो ब्रिटेन के गृह मंत्रालय को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन अगर वह सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करता है तो भारत और ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक ब्रिटेन 28 दिनों के भीतर उसे भारत भेज सकता है। सीबीआई प्रवक्ता आर.के. गौर ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह उन आर्थिक भगोड़ों के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण जीत है, जो इस देश की न्यायिक प्रक्रिया से बचते रहे हैं।”

प्रथम दृष्टया षड्यंत्र और मनी लांड्रिंग का मामला दिखता है

हाईकोर्ट ने सोमवार को माल्या का आवेदन खारिज करते हुए कहा, “प्रथम दृष्टया हम इस बात से सहमत हैं कि यह मामला षड्यंत्र रचने और गलतबयानी का है। प्रथम दृष्टया यह मनी लांड्रिंग का भी मामला लगता है।” माल्या के नाम अप्रैल 2017 में प्रत्यर्पण वारंट जारी हुआ था। वह कुछ समय के लिए गिरफ्तार भी हुआ लेकिन जल्दी ही उसे जमानत मिल गई थी। तब से सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय उसे भारत लाने की कोशिश में है। लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने दिसंबर 2018 में माल्या के प्रत्यर्पण का फैसला सुनाया था, माल्या ने इसी फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन के चलते लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इरविन और जस्टिस एलिजाबेथ लैंग की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस मामले की सुनवाई की।

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माल्या का कर्ज लौटाने का इरादा ही नहीं थाः कोर्ट

भारत सरकार की तरफ से रखे गए दस्तावेजों के आधार पर बेंच ने कहा कि किंगफिशर एयरलाइंस को जो कर्ज दिया गया उसमें षडयंत्र का पता चलता है। कमजोर फाइनेंशियल, नेगेटिव नेटवर्थ और खराब क्रेडिट रेटिंग के बावजूद एयरलाइन को कर्ज दिया गया। अपीलकर्ता (माल्या) ने कर्ज के लिए गलत कागजात पेश किए, ब्रांड वैल्यू बढ़ा-चढ़ा कर बताया, एयरलाइन के ग्रोथ के अनुमान भी गलत दिए। माल्या जिस तरह व्यक्तिगत और कॉरपोरेट गारंटी देने से बचते रहे, उससे पता चलता है कि कर्ज लौटाने का उनका इरादा ही नहीं था।

1992 की प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक लाया जाएगा माल्या को

माल्या के वकीलों ने भारत सरकार की अपील का कई आधार पर विरोध किया था। इनमें एक आधार यह भी था कि मुंबई की आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर 12 में माल्या सुरक्षित नहीं रहेंगे। लेकिन हाईकोर्ट ने सभी आधारों को खारिज कर दिया। माल्या मार्च 2016 से इंग्लैंड में है। भारत और ब्रिटेन के बीच 1992 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी और यह नवंबर 1993 से लागू है। ऐसी संधि के तहत अभी तक सिर्फ एक व्यक्ति को भारत लाया जा सका है और वह है समीर भाई वीनूभाई पटेल। गोधरा कांड के बाद हुए दंगे के सिलसिले में उसे 2016 में भारत लाया गया था।

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TAGS: Mallya, extradition, British, High, Court, quashes, fugitive, businessman, petition
OUTLOOK 20 April, 2020
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