'एक देश-एक चुनाव' वैचारिक रूप से सही लेकिन इस बार यह संभव नहीं: नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि इस चुनाव में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ नहीं कराए जा सकते हालांकि उन्होंने इस विचार का समर्थन किया। इस संबंध में सोमवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग को पत्र लिखा था।
नीतीश ने कहा, ‘इस चुनाव में ये संभव नहीं है कि लोकसभा और सभी विधानसभा चुनाव एक साथ किया जाए। वैचारिक रूप से यह सही है।‘
वहीं, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ओम प्रकाश रावत ने कहा है कि एक देश-एक चुनाव अभी कानूनन संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून में संशोधन के बाद ही एक साथ चुनाव संभव है। 11 राज्यों में एक साथ चुनाव की संभावना दिखती है।
अमित शाह ने लिखा था विधि आयोग को पत्र
भाजपा लगातार एक देश-एक चुनाव की वकालत कर रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग के न्यायमूर्ति बलवीर चौहान को इस संबंध में सोमवार को पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र में कहा था कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच कोई मेल नहीं होता है। मतदाता दोनों चुनाव में अलग-अलग विषयों पर वोट देते हैं, अत: मतदाताओं पर विश्वास होना चाहिए। 1967 में कांग्रेस केंद्र में चुन कर आई, वहीं अनेक राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार बनी थी। 1980 में कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक के अधिकतम लोकसभी सीटों पर जीत हासिल हुई लेकर विधानसभा में जनता दल को जीत मिली थी।
उन्होंने लिखा कि चुनावों की संभावित तिथियां ज्ञात होते ही सभी राजनैतिक दल आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए लघुकालिक और लोक-लुभावन निर्णय ले लेते हैं, जो आम तौर पर सरकारी निर्णयों के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं। परिणामत: फैसला लेने का तरीका लोकलुभावन हो गया है जबकि उसे नीतिगत होना चाहिए।
केंद्र सरकार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने पर आम सहमति बनाने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने पर विचार कर रही है। यह बैठक विधि आयोग द्वारा इस मामले में कानूनी ढांचे की सिफारिश के बाद आयोजित की जा सकती है। सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर नेताओं के बीच चर्चा का दायरा बढाने के लिए आगामी दिनों में सर्वदलीय बैठक बुलाई जा सकती है लेकिन बैठक बुलाने को लेकर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।