महामारी के बाद ऑनलाइन शिक्षा को मिला बढ़ावा, जाने प्रतिस्पर्धा के दौर में स्टार्टअप्स का क्या है दावा
कोरोना महामारी के दौरान स्कूल बंद रहने के दौरान ऑनलाइन शिक्षा को खासा बढ़ावा मिला है। लेकिन ऑनलाइन ट्यूशन प्लेटफॉर्म को लेकर पेरेंट्स की सबसे बड़ी शिकायत रहती है कि वे काफी महंगे हैं। इसे लेकर अब प्रतिस्पर्धा का दौर शुरु हो गया है और '88गुरू' ने उनकी इस शिकायत को दूर कर दिया है।
दूसरे एडटेक स्टार्टअप से अलग इस नए स्टार्टअप का मकसद वीडियो आधारित ऑनलाइन ट्यूशन को गुणवत्तापूर्ण बनाने के साथ-साथ किफायती बनाना भी है। जिसके तहत 5वीं से 8वीं तक के छात्रों के लिए हर विषय की फीस भी खासी सस्ती रखी गई है। इसमें कोई अनिवार्य सालाना पैकेज भी नहीं है। पंजीकरण के बाद 7 दिनों तक स्टूडेंट्स नि:शुल्क ट्रायल भी ले सकते हैं।
डायरेक्टर अनिल आहूजा कहते हैं कि ये तमाम विशेषताएं ही हमें भीड़ से अलग एक बेहतर विकल्प बनाती हैं। स्टार्टअप सिंगापुर टीचिंग प्रैक्टिस (एसटीपी) मॉडल पर आधारित लर्न-प्रैक्टिस-रिव्यू की वर्ल्ड क्लास लर्निंग पद्धति से चलता है। व्यक्तिगत प्रैक्टिस के लिए छात्रों को प्रैक्टिस पेपर और वर्कशीट भी दी जाती है। शिक्षकों की अनुभवी टीम का अलग योगदान है।
बता दें कि ऑनलाइन शिक्षा के नए चलन को बढ़ावा देने में ज्यादातर आबादी के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की उपलब्धता एक बड़ा कारण है। ऑनलाइन शिक्षा के भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहते हैं। शिक्षकों का विवाद में फंसना, यूट्यूब पर गलत कंटेंट की भरमार, सस्ती लोकप्रियता के लिए शिक्षकों का उल्टे-सीधे बयान देना आदि ऐसे कई मुद्दे हैं जो इस पद्धति को लेकर संशय पैदा करते हैं।