डॉ. तड़वी खुदकुशी मामले में मुंबई कोर्ट ने रद्द की जेल में बंद आरोपी डॉक्टरों की जमानत याचिका
मुंबई के एक सरकारी अस्पताल में जूनियर महिला डॉक्टर पर कथिततौर पर जातिगत टिप्पणी कर उसे आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जेल में बंद तीन डॉक्टरों की जमानत याचिका रद्द कर दी है। भक्ति मेहेरे, हेमा आहूजा और अंकिता खंडेलवाल फिलहाल जेल में ही रहेंगे। आरोपियों के वकील आबाद पोंडा ने दलील दी थी कि तीनों डॉक्टरों को तड़वी की जाति के बारे में पता भी नहीं था। उन्हें काम के लिए डांटा था और नुकसान पहुंचाने की कोई मंशा नहीं थी।
आरोपित डॉक्टरों की बढ़ा दी थी न्यायिक हिरासत
इससे पहले पायल तड़वी आत्महत्या मामले में मुंबई कोर्ट ने तीनों आरोपित डॉक्टरों की न्यायिक हिरासत 21 जून तक बढ़ा दी थी। कोर्ट के आदेश पर तीनों डॉक्टरों हेमा आहूजा, अंकिता खंडेलवाल और भक्ति मेहरे ने विरोध जताया और कोर्ट में ही हंगामा खड़ा करने की कोशिश की। उन्होंने चीखते हुए कहा कि वे अब और जेल में नहीं रह सकतीं। उनकी जमानत याचिका पर त्वरित सुनवाई हो।
धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस के मुताबिक आत्महत्या से पहले पायल ने अपनी मां से फोन पर कहा था कि वह अपनी तीनों सीनियर डॉक्टरों के उत्पीड़न से परेशान हो गई है, अब वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। वे तीनों उसे आदिवासी और जातिसूचक शब्दों से बुलाती थी।
वॉर्डन से की गई थी शिकायत
डॉक्टर पायल का एडमिशन आरक्षित कोटे से हुआ था। आरोप है कि इसी बात का जिक्र कर पायल के सीनियर उन्हें प्रताड़ित करते थे। छात्रा के परिवार वालों का कहना है कि इस बात की शिकायत हॉस्टल वार्डन से भी की थी। परिजनों का कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते पायल की शिकायत पर गौर किया होता तो आज उनकी बेटी जिंदा होती।
जानें क्या है मामला
26 वर्षीय पायल तड़वी ने मुंबई के बीएलवाई नायर अस्पताल में अपने कमरे में कथित रूप से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी जिसके बाद इन तीन डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। तीनों डॉक्टरों को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की। उनके मोबाइल फोन जब्त करके पायल तड़वी के साथ की गई बातचीत पढ़ी गई थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पायल की गर्दन पर मिले थे निशान
पायल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी गर्दन पर निशान मिले थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 'मौत का अनंतिम कारण' के तहत उसकी गर्दन पर निशान बताए गए थे। तड़वी के परिवार की ओर से पेश हुए वकील नितिन सतपुते ने आरोप लगाया था कि चोट के निशान से पता चलता है कि तड़वी की हत्या की गई और इसलिए आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए।