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17 December 2021

ममता सरकार को झटका: सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार की ओर से गठित आयोग को पेगासस मामले की जांच से रोका

पश्चिम बंगाल सरकार ने पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया था, जो पेगासस मामले की जांच करने वाली थी। लेकिन, सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को नियुक्त आयोग को पेगासस जासूसी आरोपों की जांच करने पर रोक लगा दी।

एजेंसी की खबरों के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने आयोग पर सवाल उठाने वाली एक याचिका पर एक नोटिस पश्चिम बंगाल सरकार को जारी किया। याचिका एनजीओ 'ग्लोबल विलेज फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट' की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया।

गौरतलब हो कि अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस आरोपों की जांच करने के लिए एक समिति नियुक्त कर दी थी। लेकिन इसके बावजूद भी ममता बनर्जी ने राज्यस्तरीय जांच कमिटी गठित की, जिसपर कोर्ट ने सवाल किया कि "समानांतर जांच कैसे हो सकती है?"

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पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि उनके द्वारा दिए गए मौखिक वचन का क्या हुआ कि राज्य मामले को जांच आगे नहीं बढ़ाएगा। पीठ ने सिंघवी से सवाल करते हुए पूछा, "यह क्या है? पिछली बार आपने अंडरटेकिंग दी थी जिसे हम रिकॉर्ड करना चाहते थे, लेकिन आपने कहा था कि रिकॉर्ड न करें। लेकिन आपने फिर से जांच शुरू कर दी है?"

सिंघवी ने जवाब दिया कि राज्य सरकार आयोग को नियंत्रित नहीं कर सकती है और एक 'राज्य' के तौर पर मैं आयोग पर लगाम नहीं लगा सकता। जिसपर कोर्ट ने कहा कि हम राज्य की दुर्दशा को समझते हैं। लेकिन हम कार्यवाही पर रोक लगाते हैं।

दरअसल पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है, जिसे स्पाइवेयर भी कहा जाता है। इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी एनएसओ ग्रुप ने बनाया है। इसके जरिए ग्लोबली पचास हज़ार और भारत में तीन सौ से ज्यादा लोगों का फोन टारगेट किया जा चुका है

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TAGS: Pegasus Controversy, Pegasus scandal, Court on Pegasus, inquiry committee on Pegasus issue, Abhisekh manu Singhvi, Mamta banerjee, Mamta banerjee on Pegasus case
OUTLOOK 17 December, 2021
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