पेगासस जासूसी मामला: 500 से ज्यादा हस्तियों ने चीफ जस्टिस को लिखा पत्र, दखल देने की मांग
पेगासस जासूसी मामले पर 500 से ज्यादा नामचीन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना को पत्र लिखकर जांच की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि मामले में जिस तरह से सवाल खड़े हो रहे हैं, उसे सुप्रीम कोर्ट ही देख सकता है। पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर जर्नलिस्टों , विरोधी दल के नेताओं व अन्य के फोन के जरिए जासूसी की गई है।
पत्र में सवाल सवाल उठाते हुए चीफ जस्टिस से गुहार लगाई गई है कि सुप्रीम कोर्ट मामले की जांच करे कि क्या किसी भारतीय संस्थान या कंपनी ने पेगागस की खरीद की थी? अगर ऐसा है तो फिर उसका भुगतान कैसे किया गया? यह भी जांच की मांग की गई है कि अगर पेगासस की खरीद हुई है तो किसकी जासूसी करनी है, यह कैसे तय हुआ। उस जानकारी से क्या फायदा हुआ है। इस तरह के टारगेट का जस्टिफिकेशन क्या है? जर्नलिस्ट, राजनेताओं, वकीलों, मानवाधिकार एक्टिविस्टों और सुप्रीम कोर्ट स्टाफ के निजता के उल्लंघन के मामले में कौन सी संवैधानिक अथॉरिटी निगरानी कर रहा है।
पत्र में कहा गया है कि सिर्फ सुप्रीम कोर्ट पर लोगों का भरोसा है खासकर महिलाओं का भरोसा है। ऐसे में जो सवाल उठ रहे हैं, उसे सुप्रीम कोर्ट ही देख सकता है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे लेटर में कहा गया है कि सीजेआई रंजन गोगोई पर सेक्शुअल हरैसमेंट का आरोप लगाने वाली महिला स्टाफ के मोबाइल की भी हैकिंग हुई है। मानवाधिकार ऐक्टिविस्ट को भी इसका शिकार बनाया गया है।
पत्र लिखने वालों में अरुणा राय, हर्ष मंदर, अंजली भारद्वाज, वृंदा ग्रोवर, रोमिला थापर, लेखक अरुंधति राय, अनुराधा भसीन, रिटायर सरकारी अधिकारी, रिटायर आर्म्ड फोर्स के अधिकारी और अन्य शामिल हैं।