सुप्रीम कोर्ट का फैसला, मोटर वाहन कानून का उल्लंघन किया तो आईपीसी में भी चल सकता है मुकदमा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति मोटर वाहन कानून का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत भी मुकदमा चलाया जा सकता है। कोर्ट ने इस सिलसिले में गुवाहाटी हाई कोर्ट का 22 दिसंबर 2008 का फैसला पलट दिया। हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी के खिलाफ मोटर वाहन कानून के तहत तय सीमा से तेज या खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाने का मुकदमा दर्ज किया गया है, तो उसके खिलाफ आईपीसी के तहत केस नहीं चलाया जा सकता।
दोनों कानून अलग-अलग तरह के अपराध के लिए हैं
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा, हमारे विचार से दोनों कानून के अपने-अपने दायरे हैं। जहां तक वाहनों की बात है तो मोटर वाहन कानून 1988 अपने आप में पूर्ण है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वाहन से कोई दुर्घटना हुई है तो आईपीसी के तहत उसमें मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। दोनों कानून अलग-अलग तरह के अपराध के लिए हैं और दोषी व्यक्ति को दोनों कानूनों के तहत दंडित किया जा सकता है।
सड़क दुर्घटना के मामले में सामान्य सिद्धांत लागू नहीं
फैसला लिखने वाली जस्टिस मल्होत्रा ने कहा, सामान्य तौर पर सिद्धांत यह है कि विशेष कानून की जगह सामान्य कानून के ऊपर होगी। लेकिन सड़क दुर्घटना के मामले में इसे लागू नहीं किया जा सकता है। इसलिए हमारी राय में आईपीसी और मोटर वाहन कानून में कोई टकराव नहीं है। दोनों में अपराधों की श्रेणी अलग-अलग हैं।
आईपीसी में दिए गए हैं स्पष्ट प्रावधान
पीठ ने कहा, वाहन दुर्घटना में किसी की मौत हो जाती है या कोई गंभीर रूप से जख्मी हो जाता है, तो वैसे मामलों के लिए मोटर वाहन कानून के चैप्टर-13 में कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन आईपीसी की धारा 279, 304, 304ए, 337 और 338 में ऐसे अपराधों से निपटने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है।