Advertisement
19 March 2017

विश्वविद्यालयों को स्वतंत्र माहौल देने की बात कही प्रणब ने

गूगल

उन्होंने नालंदा जिले में राजगीर के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में कहा कि ये सब महज शिक्षण के स्थान नहीं हैं बल्कि चार सभ्यताओं...भारतीय, फारसी, यूनानी और चीनी के संगम हैं। उन्होंने कहा कि इन विश्वविद्यालयों का गुण यह था कि वहां खुले दिमाग से स्वतंत्र चर्चा होती थी। आचार्यों ने किसी कथन को स्वीकार करने और उसका अनुसरण करने से पहले छात्रों को सवाल करने के लिए प्रोत्साहित किया था।

मुखर्जी ने कहा कि यदि विश्वविद्यालय में स्वतंत्र माहौल नहीं होगा तो अकादमिक संस्थान में हम अपने छात्रों को किस तरह की सबक दे सकते हैं। शिक्षा का मतलब है कि मस्तिष्क का विकास, शिक्षकों और सहपाठियों से लगातार संवाद हो। पूर्वाग्रह, रोष, हिंसा, अन्य सिद्धांतों से मुक्त माहौल अवश्य होना चाहिए। बौद्धिक विचारों के मुक्त प्रवाह के लिए अवश्य ही सौहार्द होना चाहिए। आतंकवाद के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि यह सिर्फ एक हरकत नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक पथभ्रष्टता और विकृत मनोदशा है। राष्ट्रों को एकजुट होकर अवश्य ही सोचना चाहिए कि इस बुराई से कैसे निपटा जाए।

उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा बौद्ध स्थलों को नष्ट किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह समस्या (आतंकवाद) व्यापक है यह सिर्फ साथी नागरिकों को चोट पहुंचाने तक सीमित नहीं है बल्कि यह मूल्यों, धरोहर को और पीढि़यों की बनाई परिसंपत्ति को नष्ट कर रहा है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: प्रणब मुखर्जी, विश्वविद्यालय, अकादमिक संस्‍थान, नालंदा, बौद्ध, बहस, पूर्वाग्रह, हिंसा
OUTLOOK 19 March, 2017
Advertisement