Advertisement
23 January 2023

पूर्व की सरकारों ने ‘विकृत वैचारिक राजनीति’ के कारण देश के सामर्थ्य को कम आंका: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सोमवार को आरोप लगाया कि पहले की सरकारों में ‘‘विकृत वैचारिक राजनीति’’ के कारण ‘‘आत्मविश्वास की कमी और हीनभावना’’ रही जिसकी वजह से देश के सामर्थ्य को कम आंका गया। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने ‘‘दुर्गम और अप्रासंगिक’’ मानकर हिमालयी, पूर्वोत्तर और द्वीपीय क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा की तथा उनके विकास को नजरअंदाज किया।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्‍मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस अवसर पर अण्‍डमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह आरोप भी लगाया कि आजादी के बाद देश के स्वाधीनता आंदोलन के इतने बड़े नायक को भुला देने का प्रयास हुआ।

नेताजी की याद में दिल्ली के इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा स्थापित करने, आजाद हिंद सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर लाल किले पर तिरंगा फहराने, उनके जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने सहित अन्य कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आजादी के बाद भुला देने का प्रयास हुआ, आज देश उन्हें पल-पल याद कर रहा है।’’

Advertisement

इस कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हिस्सा ले रहे प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनाए जाने वाले नेताजी राष्‍ट्रीय स्‍मारक के प्रतिरूप का भी उद्घाटन किया।

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, तीनों रक्षा सेवाओं के प्रमुख, अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल देवेंद्र कुमार जोशी सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे देश की पहले की सरकारों में, खासकर विकृत, वैचारिक राजनीति के कारण दशकों से जो आत्मविश्वास की कमी और हीनभावना रही, उसके कारण देश के सामर्थ्य को हमेशा कम आंका गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे हमारे हिमालयी राज्य हों, विशेषकर पूर्वोत्तर के राज्य हों या फिर अंडमान निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र…. इन्हें लेकर यह सोच रहती थी कि ये तो दूरदराज के दुर्गम और अप्रासंगिक इलाके हैं। और इसी सोच के कारण ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई। उनके विकास को नजरअंदाज किया गया। अण्डमान निकोबार द्वीप समूह इसका भी साक्षी रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने सिंगापुर, मालदीव और सेशेल्स का उदाहरण देते हुए कहा कि अपने संसाधनों के सही इस्तेमाल से ये देश और द्वीपीय क्षेत्र पर्यटन के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं और आज पूरी दुनिया से लोग इन देशों में पर्यटन के लिए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा ही सामर्थ्य भारत के द्वीपों के पास भी है जो दुनिया को बहुत कुछ दे सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कभी पहले ध्यान ही नहीं दिया गया। हालात तो यह थे कि हमारे यहां कितने द्वीप हैं, कितनी टापू हैं, इसका हिसाब किताब तक नहीं रखा गया।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले लोग अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने यहां आते थे लेकिन आज लोग यहां इतिहास को जानने और जीने के लिए भी पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यहां के द्वीप हमारी समृद्ध आदिवासी परंपरा की धरती भी रहे हैं। अपनी विरासत पर गर्व की भावना, इस परंपरा के लिए भी आकर्षण पैदा कर रही है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े स्मारक और अन्य प्रेरणा स्थल देशवासियों में यहां आने के लिए उत्सुकता पैदा करते हैं। आने वाले समय में यहां पर्यटन के और असीम अवसर पैदा होंगे।’’

इस द्वीप समूह में इंटरनेट सेवाओं के विस्तार कार्यों का उल्लेख करते प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत में अण्डमान निकोबार द्वीप समूह ने आजादी की लड़ाई को नई दिशा दी थी, उसी तरह भविष्य में यह क्षेत्र देश के विकास को नई गति देगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जो सक्षम होगा, सामर्थ्यवान होगा और आधुनिक विकास की बुलंदियों को छूएगा।’’

अण्‍डमान और निकोबार द्वीप समूह के सबसे बड़े द्वीप का नामकरण प्रथम परमवीर चक्र विजेता के नाम पर किया गया। इसी प्रकार आकार की दृष्टि से अन्‍य द्वीपों का नामकरण किया गया। ये नामकरण जिन परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किए गए हैं, उनमें -मेजर सोमनाथ शर्मा, नायक जदुनाथ सिंह, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह, लांस नायक अल्‍बर्ट एक्‍का, मेजर रामास्‍वामी परमेश्‍वरन, कैप्‍टन विक्रम बत्रा और लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पाण्‍डेय शामिल हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, द्वीपों का यह नामकरण राष्‍ट्र की सम्‍प्रभुता और अखण्‍डता की सुरक्षा के लिए सर्वोच्‍च बलिदान देने वाले नायकों को श्रद्धांजलि के तौर पर किया जा रहा है।

अण्‍डमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्‍व और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्‍मृति में वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने रॉस द्वीप का नामकरण नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप के तौर पर किया था। इसी प्रकार नील द्वीप का नाम बदलकर शहीद द्वीप और हेवलॉक द्वीप का नाम स्‍वराज द्वीप किया गया था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Previous governments, country's potential, 'distorted ideological politics', PM Narendra Modi
OUTLOOK 23 January, 2023
Advertisement