रसूख वाला है रेमडेसिविर की कालाबाजारी में पकड़ा गया राजीव सिंह, मंत्री और आइपीएस के साथ तस्वीर वायरल
कोरोना के इलाज में मददगार दवा रेमडेसिविर की कालाबाजारी के आरोप में पकड़ा गया राजीव सिंह बड़े रसूख वाला है। नेताओं और अफसरों के साथ उसके गहरे ताल्लुकात हैं। उसकी गिरफ्तारी के बाद हेमन्त सरकार में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी, एडीजी रेल, प्रशांत सिंह के साथ उसकी तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल है। बताया जा रहा है कि इसी साल 6 मार्च को राजीव के कांके रोड स्थिति फ्लैट में गृह प्रवेश कार्यक्रम की यह तस्वीर है। गृह प्रवेश में मंत्री और अधिकारियों का जुटान हुआ तो जाहिर है राजीव प्रभाव वाला रहा होगा। राजीव को जब पुलिस हिरासत में लिया गया उसकी रिहाई के लिए रांची पुलिस पर बड़े दबाव बनाये गये। स्थानीय अखबारों में इस तरह की खबरें भी आईं। पहले उसे अंगरक्षक भी मिला हुआ था।
महामारी के दौर में रेमडेसिविर की पूरे देश में किल्लत है। सरकार के माध्यम से सिर्फ अस्पतालों में इसे उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। राजीव को बुद्धवार को गिरफ्तार किया था और उसकी गाड़ी से पांच वायल रेमडेसिविर बरामद किया था। पुलिस के अनुसार जिसका सौदा एक लाख दस हजार रुपये में किया गया था। वह समाज सेवा का चोला ओढ़कर धंधा करता था। अपनी कार का नाम मिनी अस्पताल दे रखा था। पुलिस को कार में ऑक्सीजन, पीपीई किट, ग्लब्स, मास्क, फेस शिल्ड आदि बरामद किया। एक स्थानीय चैनल के स्टिंग के बाद ड्रग कंट्रोलर की टीम और पुलिस के ऑपरेशन में वह दबोचा गया। इधर रांची होई कोर्ट ने गुरुवार को कोरोना की दवाओं की कालाबाजारी पर सरकार से रिपोर्ट मांगी और सीआइडी से इसकी मॉनीटरिंग का आदेश दिय। तो गुरुवार को ही देर रात पुलिस ने राजीव के खिलाफ ठगी, जालसाजी, आपदा प्रबंधन कानून तथा ड्रग्स एंड कॉसमेटिक्स एक्ट के अधीन प्राथमिकी दर्ज की है। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सीआइडी की टीम सक्रिय हुई और प्राथमिकी के तत्काल बाद केस को टेकओवर कर लिया। पुलिस जानने में लगी है कि रेमडेसिविर की आपूर्ति कहां से हुई। पूछताछ में राजीव ने बताया है कि रांची के ही अरगोड़ा के मेडिसिन प्वाइंट नामक दवा दुकान से उसे मिली। इसके बाद पुलिस ने दवा दुकान संचालक राकेश रंजन को भी हिरासत में लिया है। पुलिस को राकेश ने बताया है कि उसे रांची के हिनू के नर्सिंग होम से रेमडेसिविर मिली है। पुलिस पड़ताल कर रही है कि इस बैच की यह दवा किसे आवंटित की गई और अस्पताल ने किसके नाम पर इसका इस्तेमाल दिखाया है।
हाल ही एक स्थानीय चैनल में राजीव सिंह खुद के बारे में बता रहा है कि मैं कांके रोड़ निवासी, समाज सेवा से जुड़ा हुआ हूं। पिछले लॉकडाउन में भी तीन माह तक नौ-दस हजार लोगों तक खाना खिलाया था। इस बार थोड़ा आर्थिक स्थिति कमजोर है, किसी तरह अस्पताल से तीन ऑक्सीजन सिलिंडर का इंतजाम कर भरवाया हूं। रेमडेसिविर दिखाते हुए कह रहे हैं कि मैं सोचा संकट की घड़ी में लोगों की क्या मदद कर सकता हूं। एक ने दो तीन रेडमेसिविर उपलब्ध कराया। चार है दो मैंने दे दिया। ओरीजनल दाम पर देता हूं पर मुझे ब्लैक में मंगवाना पड़ता है।