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19 September 2019

'तेजस' लड़ाकू विमान में उड़ान भरने वाले पहले रक्षा मंत्री बने राजनाथ, कहा- अद्भुत अनुभव रहा

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को बेंगलुरु में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस से उड़ान भरी। दो सीटों वाले स्वदेश निर्मित इस लड़ाकू विमान से उड़ान भरने वाले राजनाथ सिंह देश के पहले रक्षा मंत्री बन गए हैं। करीब आधे घंटे तक उड़ान भरने के बाद उन्होंने कहा कि बेंगलुरु के एचएएल हवाईअड्डे से स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरना अद्भुत और शानदार अनुभव था। राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु के एचएल एयरपोर्ट से उड़ान भरी। बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वदेश में निर्मित लड़ाकू विमान को तेजस नाम दिया था।

इससे पहले रक्षा अधिकारियों ने बताया कि तेजस भारतीय वायुसेना की 45वीं स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग ड्रैगर्स’ का हिस्सा है। लड़ाकू विमान को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने डिजाइन और विकसित किया है।

एचएएल को 83 तेजस जेट बनाने का सौंपा गया था जिम्मा

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वायुसेना ने दिसंबर 2017 में एचएएल को 83 तेजस जेट बनाने का जिम्मा सौंपा था। इसकी अनुमानित लागत 50 हजार करोड़ रुपए थी। रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान (डीआरडीओ) ने इसी साल 21 फरवरी को बेंगलुरु में हुए एयरो शो में इसे फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस जारी किया था। इसका आशय यह है कि तेजस युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है।

जानें इस विमान की खासियत

-  तेजस दुनिया का सबसे छोटा और हल्का फाइटर जेट हैं। इसकी रफ्तार 2000 किलो मीटर से ज्यादा है। यह 5000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर उड़ सकता है।

- तेजस को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। इस सिंगल-इंजन फाइटर के शामिल होने से भारतीय वायुसेना को मिग -21 बाइसन विमान को बदलने की अनुमति मिल जाएगी। दिसंबर 2017 में भारतीय वायुसेना द्वारा 83 तेजस विमानों के लिए प्रस्ताव (RFP) जारी किया गया था।

-  83 तेजस विमानों में से 10 दो सीट वाले होंगे और भारतीय वायुसेना इन विमानों का इस्तेमाल अपने पायलटों के प्रशिक्षण के लिए करेगी।

- तेजस फाइटर जेट को 21 फरवरी, 2019 को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) द्वारा फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस (FOC) स्टैंडर्ड सर्टिफिकेशन द्वारा जारी किया गया था। FOC स्टैंडर्ड सर्टिफिकेशन जारी करने का मतलब है कि तेजस मुकाबले के लिए तैयार है।

-  तेजस पहले से ही हवा में ईंधन भरने, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक सुइट, कई अलग-अलग प्रकार के बम, मिसाइल और हथियारों जैसी तकनीकों से लैस है।

यहां देखें वीडियो- 

तेजस का नौसैनिक वर्जन मील का पत्थर हासिल करने में रहा सफल

13 सितंबर 2019 को तेजस का नौसैनिक वर्जन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल करने में सफल रहा, जब इसने गोवा में समुद्री तट आधारित टेस्ट फैसिलिटी (SBTF) INS हंसा में वायर-अरेस्ट लैंडिंग की। वायर अरेस्टेड लैंडिंग करने वाले तेजस विमान को चीफ टेस्ट पायलट कमोडोर जयदीप ए मौलंकर ने उड़ाया था। डीआरडीओ ने वायर-अरेस्ट लैंडिंग को "इंडियन नेवल एविएशन" के इतिहास में "गोल्डन लेटर डे" कहा था।

पांच देशों के एयरक्राफ्ट में ही यह तकनीक मौजूद

इससे पहले अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन द्वारा निर्मित कुछ विमानों में ही अरेस्टेड लैंडिंग की तकनीक रही है। तेजस की अरेस्टेड लैंडिंग सफल होने के साथ ही विमान को नेवी में शामिल किए जाने का एक चरण पूरा हो गया है। पायलट्स को अब असल ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर- आईएनएस विक्रमादित्य पर लैंडिंग करके दिखाना होगा।

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OUTLOOK 19 September, 2019
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