सीबीआई विवादः कोर्ट ने खारिज की बिचौलिए मनोज प्रसाद की जमानत अर्जी
दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की कथित संलिप्तता वाले रिश्वतखोरी मामले में गिरफ्तार बिचौलिये मनोज प्रसाद की जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। वहीं, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मनोज प्रसाद की न्यायिक हिरासत 27 नवम्बर तक के लिए बढ़ा दी है।
जस्टिस नजमी वजीरी ने बिचौलिए मनोज प्रसाद को यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया कि उसके खिलाफ लगे आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। सीबीआई की ओर से पेश हुए एडीशनल सॉलीसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी और एडवोकेट राजदीपा बेहुरा ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जांच अभी शुरुआती दौर में है और मनोज प्रसाद का मामला अन्य आरोपियों के मामले से अलग है।
आरोपी डीएसपी को मिल चुकी है जमानत
इससे पहले जांच एजेंसी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि आरोपी प्रभावशाली शख्स है और अगर उसे जमानत पर रिहा किया गया तो वह मामले में चल रही जांच को बाधित कर सकता है और फरार हो सकता है। वहीं मनोज प्रसाद ने याचिका में कहा था कि उससे हिरासत में लेकर पूछताछ किए जाने की जरूरत नहीं है और उसे आगे हिरासत में रखे जाने से कोई मकसद पूरा नहीं होने जा रहा।
न्यायिक हिरासत में चल रहे मनोज प्रसाद को 17 अक्तूबर को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने 31 अक्टूबर को सह-आरोपी और सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार को जमानत दे दी थी। जांच एजेंसी ने उनकी जमानत याचिका का विरोध नहीं किया था।
सीबीआई ने पिछले महीने दर्ज किया था मामला
सीबीआई ने कारोबारी सतीश सना की लिखित शिकायत पर 15 अक्तूबर को राकेश अस्थाना और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। राकेश अस्थाना, मनोज प्रसाद और देवेंद्र कुमार के अलावा एक और कथित बिचौलिये सोमेश प्रसाद का नाम भी इस मामले में आरोपी के तौर पर शामिल है।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ मामले में जांच अधिकारी (आईओ) रहे देवेंद्र कुमार शिकायतकर्ता को परेशान करने के लिये बार-बार उसे सीबीआई दफ्तर बुला रहे थे और मामले में क्लीन चिट देने के बदले उसे पांच करोड़ की घूस देने के लिये बाध्य कर रहे थे। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि घूस की कुछ रकम सतीश सना द्वारा दी गई।