इंसानियत की मिसाल: जब रोजा तोड़कर एक मुसलमान ने बचाई हिंदू की जान
हमारे देश और समाज में धर्म-जाति के नाम पर नफरत फैलाने वाली कई ऐसी घटनाएं होती हैं जो इंसानियत पर सवाल खड़े कर देती है। लेकिन इसके विपरीत आज भी हमारे देश में कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं जो अपने काम से एक मिसाल के तौर पर सामने आते है, जिनके लिए प्राथमिकता सिर्फ इंसानियत होती है।
कुछ ऐसा ही वाकया रमजान के पाक महीने में देखने को मिला, जब एक आरिफ खान नाम के शख्स ने रोजा तोड़कर एक युवक की जान बचाई, न सिर्फ जान बचाई बल्कि यह भी साबित कर दिया कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं।
अगर ए-पॉजिटिव ब्लड नहीं मिला तो जान को हो सकता है खतरा
जानकारी के अनुसार, मैक्स अस्पताल में भर्ती अजय बिजल्वाण (20) की हालत तब बेहद गंभीर हो गई, जब उशके लीवर में बीमारी के चलते अजय का प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगा और शनिवार की सुबह तक पांच हजार से भी कम हो गई इलाज कर रहे डॉक्टरों ने पिता खीमानंद बिजल्वाण से कहा कि अगर ए-पॉजिटिव ब्लड नहीं मिला तो जान को खतरा हो सकता है।
जब रोजा तोड़ने को तैयार हुआ आरिफ खान
तमाम कोशिशों के बावजूद भी बल्ड डोनेट करने के लिए कोई डोनर नहीं मिला, जिसके बाद खीमानंद के रिश्तेदारों ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मदद मांगी। इसके बाद मामले की जानकारी नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट राइट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान को मिली, जो बिना देर किए खून देने को तैयार हो गया जिसके बाद डॉक्टरों ने आरिफ से कहा कि खून देने से पहले आपको कुछ खाना पड़ेगा यानी की रोजा तोड़ना पड़ेगा।
‘अगर मेरे रोजा तोड़ने से किसी जान बचती है, तो मैं पहले इंसानियत निभाऊंगा’
इसके बाद आरिफ खान तुरंत अस्पताल पहुंचे और उनके खून देने के बाद चार लोग और भी पहुंचे। इस पूरे वाकये पर आरिफ खान ने कहा कि अगर मेरे रोजा तोड़ने से किसी की जान बच सकती है तो मैं पहले इंसानियत निभाऊंगा। उन्होंने कहा, मेरे लिए तो यह सौभाग्य की बात है कि मैं किसी के काम आ सका। आरिफ ने आगे कहा कि रमजान में जरूरतमंदों की मदद करने का बड़ा महत्व है।