राउत ने कुंभ में भगदड़ में 2,000 लोगों की मौत का किया दावा; राज्यसभा में विवाद
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने मंगलवार को राज्यसभा में यह दावा करके हंगामा खड़ा कर दिया कि 29 जनवरी को महाकुंभ में हुई भगदड़ में "2,000 लोग मारे गए", जिसके बाद उपसभापति हरिवंश ने उनसे इस आंकड़े को प्रमाणित करने को कहा।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान राउत ने भगदड़ में 30 लोगों की मौत के आधिकारिक आंकड़े पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "जब 4-5 दिन पहले भगदड़ हुई थी, तब कहा गया था कि यह भगदड़ नहीं बल्कि अफवाह है...30 लोग मारे गए। क्या यह आंकड़ा सच है? इसे छिपाएं नहीं...अगर एक व्यक्ति भी मर गया तो हम जिम्मेदार हैं...हमने जो आंकड़ा अपनी आंखों से देखा है, उसके अनुसार 2,000 लोग मारे गए।"
शिवसेना नेता ने इस त्रासदी के लिए "खराब प्रबंधन" को जिम्मेदार ठहराया और कुंभ को "राजनीतिक मार्केटिंग के लिए राजनीतिक आयोजन" करार दिया। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों में ऐसी घटना से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग उठती। जब सत्ता पक्ष के सदस्यों ने विरोध जताया, तो उपसभापति ने राउत से कहा, "यदि आप कोई आंकड़ा देते हैं, तो आपको उसे प्रमाणित करना होगा।"
सांसद ने शाम तक आंकड़े प्रमाणित करने पर सहमति जताई। राउत की यह टिप्पणी कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा भगदड़ में "हजारों" लोगों की मौत का जिक्र करने के एक दिन बाद आई है, जिसके कारण उच्च सदन में विरोध प्रदर्शन हुआ। सभापति ने खड़गे से अपने बयान को वापस लेने को कहा था।
अपने भाषण के दौरान राउत ने यह भी आरोप लगाया कि "लोकतंत्र के सभी स्तंभ नष्ट हो गए हैं", और सरकार चुनावों में व्यस्त है। उन्होंने कहा, "जब तक प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रालय चुनावों के भंवर से बाहर नहीं निकलेंगे, तब तक देश प्रगति नहीं कर पाएगा।"
भाजपा सदस्य अनिल सुखदेवराव बोंडे ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए सवाल किया कि अजमेर में हुई मौतों के बारे में ऐसी ही चिंता क्यों नहीं जताई गई। बहस में कांग्रेस सांसद फूलो देवी नेताम ने छत्तीसगढ़ में विकास के मुद्दे उठाए, जबकि टीएमसी के प्रकाश चिक बड़ाइक ने जनगणना में आदिवासियों के लिए 'सरना धर्म कोड' को मान्यता देने की मांग की।