ईद पर श्रीकृष्ण की वायरल हुई पेंटिंग का सच अब आया सामने
ईद के एक दिन पहले एक पेंटिंग सोशल मीडिया पर नमूदार हुई। एक पेंटिंग, जिसमें भगवान कृष्ण एक चांद की तरफ उंगली से इशारा कर रहे हैं। उनके आस-पास बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों की एक टोली खड़ी है। कृष्ण एक शख्स पर हाथ रखे हुए हैं। सोशल मीडिया के दावे के मुताबिक, हुलिए से मुसलमान लग रहे उस शख्स को कृष्ण 'ईद का चांद' दिखा रहे हैं। इसे गंगा-जमुनी तहजीब और सामुदायिक सद्भावना के प्रतीक की तरह पेश किया गया। 16 जून को स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस तस्वीर को ट्वीट किया और ईद की मुबारकबाद दी।
लेकिन इस तस्वीर पर विवाद भी शुरू हुआ। कई ट्विटरनिवासी भड़क गए। कईयों की भावना ‘आहत’ हुई। बहुत से लोगों ने दावा किया है कि यह पेंटिंग फोटोशॉप्ड है।
क्या है सच्चाई?
यह 18वीं शताब्दी की एक पहाड़ी पेंटिंग है जो कि पूरी तरह असली है। इसमें फोटोशॉप का कहीं इस्तेमाल नहीं किया गया। दिक्कत इस पेंटिंग की व्याख्या में है। स्मिथसोनियन के मुताबिक, असली पेंटिंग में ईद के चांद की जगह कृष्ण सूर्य ग्रहण की तरफ इशारा कर रहे हैं। इसे भागवत पुराण में वर्णित एक घटना के संदर्भ में बनाया गया था। 1775-78 के बीच हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की इस पेंटिंग को कैथरीन और राल्फ बेन्कैम कलेक्शन ने खरीदा है।
क्या है भागवत पुराण का संदर्भ?
स्मिथसोनियन के मुताबिक, पेंटिंग में श्रीकृष्ण के जीवन की एक कम चर्चित छोटी सी घटना को दर्शाया गया है। इसके मुताबिक, भगवान कृष्ण बलराम के साथ मिलकर अपने मामा कंस का वध करने के बाद कुरुक्षेत्र में घूमे। तभी वह एक नदी के किनारे आए। यहां अपने गोद लिए परिवार के साथ उन्होंने सूर्यग्रहण देखा, जिसका जिक्र भागवत पुराण (10. 81-82) में मिलता है।
सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी में भागवत पुराण का दसवां संस्करण आया, जो उत्तर भारत में लोकप्रिय हुआ। यह पेंटिंग हिमाचल के कांगड़ा में बनाई गई। इसका श्रेय प्रख्यात चित्रकार नयनसुख के बेटे या भतीजे को दिया जाता है।
Krishna and his family admire a solar eclipse, folio from a Bhagavata Purana
— Rana Safvi رعنا राना (@iamrana) June 21, 2018
India, Himachal Pradesh, Kangra, 1775–8
Purchase from the Catherine and Ralph Benkaim Collection—Charles Lang Freer Endowment
Freer Gallery of Art, F2017.13.5
Via @Rezavi https://t.co/8rdMxCGfjB