केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, कश्मीर पूरी तरह बंद होने का दावा करने वाली याचिकाएं असत्य
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में लगाए प्रतिबंधों में राहत दी गई है। सरकार ने कहा कि राज्य में पूरी तरह बंद होने का आरोप लगाने वाली याचिकाएं गलत और अप्रासंगिक हैं।
केंद्र और जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील देते हुए कुछ प्रतिबंधों को उचित ठहराया। तत्कालीन राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद क्षेत्र में प्रतिबंध लगाए गए थे।
कई केंद्रीय कानून लागू नहीं थे
मेहता ने कहा कि क्षेत्र में 13 अगस्त से ही राहत देने शुरू कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं ने पूर्ण बंद की बात कही है, वह सही नहीं है। एक याचिका कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने दायर की है। 370 हटाने के फैसले को सही ठहराते हुए मेहता ने कहा कि इस अनुच्छेद से पहले राज्य में सूचनाधिकार और बाल विवाह प्रतिबंध जैसे तमाम कानून राज्य में लागू नहीं थे।
अधिकारियों ने प्रतिबंध लगाने और हटाने के फैसले किए
सोलिसिटर जनरल ने कहा कि अधिकारियों ने क्षेत्र में और पोस्ट पेड मोबाइल जैसी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने और उन्हें हटाने में अपने स्तर पर आंकलन करके फैसले किए हैं। 14 अक्टूबर को पोस्ट पेड मोबाइल सेवा खोलने के अलावा स्कूल खोलने के फैसले किए गए। राज्य में 917 स्कूल बंद ही नहीं हुए थे।
हर सवाल का जवाब देना होगाः सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई क दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा कि उसे पाबंदियों पर उठने वाले हर सवाल का उसे जवाब देना होगा। जस्टिस एन. वी. रमन की अगुआई वाली बेंच ने जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश हुए सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता को बताया कि प्रतिबंधों को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने विस्तार से तर्क दिए हैं। उन्हें हर प्रश्न का उत्तर देना होगा। अदालत ने कहा कि पेश किए गए शपथ पत्र से उसे कोई निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली है। इस तरह का विचार मत दीजिए जिससे लगे कि आप केस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे हैं।
दलीलों के समय प्रशासन देना स्टेटस रिपोर्ट
मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रतिबंधों के बारे में दिए गए अधिकांश तर्क गलत हैं। जब कोर्ट में वह दलील देंगे, उस समय वह हर पहलू पर जवाब देंगे। सोलिसिटर जनरल ने कहा कि उनके पास स्टेटस रिपोर्ट है लेकिन उन्होंने यह अदालत में दाखिल नहीं की है क्योंकि राज्य में स्थिति रोजाना बदल रही है। जब वह दलीलें देंगे, तब सटीक स्टेटस रिपोर्ट प्रदर्शित करेंगे।
हिरासत का सिर्फ एक केस सुप्रीम कोर्ट में
इस पर शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि एक याचिका को छोड़कर किसी में भी हिरासत के मामले उसके पास लंबित नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि हम जम्मू कश्मीर के संबंध में हिरासत का कोई मामले नहीं सुन रहे हैं। हम इस समय अनुराधा भसीन और गुलाम नबी आजाद द्वारा दायर की गईं दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं। ये याचिकाएं आने-जाने और प्रेस की आजादी पर प्रतिबंधों के संबंध में हैं। सिर्फ एक याचिका बंदी प्रत्यक्षीकरण के संबंध में है।
अदालत ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण की सिर्फ एक याचिका (एक व्यापारी की हिरासत के खिलाफ) है क्योंकि याचिकाकर्ता ने जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में एक साथ याचिका दायर की है। अब उन्होंेने अपना केस हाई कोर्ट से वापस ले लिया है, इसलिए उनकी याचिका उनके यहां लंबित है।