रिलायंस का पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में हलफनामा अपने व्यवसायिक हित मेंः एआईकेएससीसी
एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप ने विरोध कर रहे किसानों पर दमन तेज करने की कड़ी निन्दा की है और कहा है कि इससे लोगों में गुस्सा तेजी से भड़क रहा है और अगर यह नहीं रुका तो आन्दोलन और तेज कर दिया जाएगा। कल जो किसान शाहजहापुर से शांतिपूर्वक ढंग से दिल्ली की ओर आ रहे थे उन्हें आगे बढ़ने से रेवाड़ी में रोका गया, उन पर आंसू गैस के गोले दागे गये और मिर्च का पाउडर छिड़का गया। इससे कई किसानों की आंखों व चमड़े में जलन की शिकायत बन गयी है।
पंजाब में संगरूर जिले में भाजपा सांसद का विरोध कर रहे केकेयू कार्यकर्ताओं पर बर्बर ढंग से लाठी चार्ज कर दिया, जिसमें एक कार्यकर्ता गम्भीर रूप से घायल हो गया। मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में लोगों की विरोध सभाओं को रोकने के लिए राज्य सरकारें कोरोना प्रसार के बहाने से धारा 144 का आलोकतांत्रिक व गैरकानूनी इस्तेमाल कर रही हैं, जबकि सरकार तथा आरएसएस-भाजपा की सभी जनकार्यवाहियां चलने दिये जा रही हैं।
एआईकेएससीसी ने कहा है कि वरिष्ठ मंत्री नितिन गडकरी ने किसानों की मांगों पर जो बात वार्ता की पूर्व संध्या पर कही, इससे वार्ता की सफलता की संभावना कम बचती है। गडकरी ने कल कहा कि मूल समस्या है कि खाने का उत्पादन बहुत ज्यादा है और एमएसपी खुले बाजार से ऊँचा है। सच यह है कि भारत में जनसंख्या का बड़ा हिस्सा भूख से पीड़ित है और आरएसएस-भाजपा की सरकार उनके प्रति संवेदनहीन है। जिनके पेट भरे हुए हैं वे समझते हैं कि भारत में खाने के उत्पादन को घटा देना चाहिए। दुनिया के भूखे देशों की सूची भारत का दर्जा हर साल गिरता जा रहा है। उसका माप 2000 में 38.8 था जो 2019 में गिर कर 30.3 रह गया और 2020 में 27.2। इन तथ्यों से अपरिचित और कारपोरेट लूट को समर्थन देने में प्रतिबद्ध व बेपरवाह मंत्री कह रहे हैं कि भारत में खाना जरूरत से ज्यादा है।
खुले बाजार व एमएसपी के बीच जो बहस की जा रही है वह किसानों के साथ खड़े रहने के मोदी के दावों के ठीक उलट है। दुनिया भर के देश फसल के दाम कम रखने की दृष्टि से किसानों को भारी मात्रा में सब्सिडी देते हैं। भारत सरकार के मंत्री कारपोरेट द्वारा सस्ती फसल खरीदने और भारी मुनाफा कमाने में मदद देने के लिए कह रहे हैं कि खरीद एमएसपी पर नहीं खुले बाजार पर होनी चाहिए।
एआईकेएससीसी ने कहा कि पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय में जो हलफनामा रिलायंस उद्योग ने दिया है वह शुद्ध रूप से उसके व्यवसायिक हितों से प्रेरित है। किसानों के उसके खिलाफ बढ़ रहे गुस्से के दबाव में दिया गया यह हलफनामा बहुत सारे झूठे दावे करता है, जैसे कि वह फसल खरीद के बाजार में नहीं घुस रहा है और किसानों की जमीन नहीं ले रहा है। उसने रायगढ़ व अन्य कई स्थानों पर बहुत सारी जमीनें ली हैं और झूठे दावे करने से पहले उसे ये सारी जमीनें वापस करनी चाहिए।
देश भर के संगठनों ने जिस तरह से अंबानी व अडानी की सेवाओं के बहिष्कार का अभियान लिया है, वह अंगे्रजी शासन के दौरान विदेशी माल के विरुद्ध लिये गये अभियान की तर्ज पर ही है।