Advertisement
19 November 2021

कृषि कानूनों को रद्द करना पंजाब, यूपी के लिए पीएम मोदी का चुनावी मास्टर स्ट्रोक

FILE PHOTO

श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव की बेला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने का एलान पंजाब ही नहीं बल्कि यूपी, उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्यों में बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, जहां 2022 व 2023 में विधानसभा चुनाव हैं। पंजाब के भाजपा नेता भाजपा इसे कांग्रेस के दलित सीएम चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी पर मोदी का मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं। किसानों के अब तक के सबसे लंबे ऐतिहासिक आंदोलन को शांत करने के लिए मोदी के इस फैसले का किसान वर्ग से भाजपा को कितना लाभ मिलता है यह किसान बाहुल्य पंजाब, पश्चिम उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के वे तराई इलाकों तय करेंगे जहां आंदोलन प्रभावी रहा है।

चार दशक से भी अधिक का समय कांग्रेस में गुजराने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 79 की उम्र में अपनी नई पार्टी की पारी के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ शुरू करेंगे। अमरिंदर सिंह ने भाजपा से अपनी नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के गठबंधन के लिए कृषि कानून रद्द करने की शर्त रखी है। कृषि कानूनों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद से पंजाब की सियासत में हाशिए पर आई भाजपा अब कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस के साथ गठजोड़ में नए सिरे से अपना जनाधार स्थापित करेगी जो किसान आंदोलन के चलते पार्टी के प्रति विरोध में तब्दील हो गया था। कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग दोहराते हुए दो दिन पहले ही कैप्टन अमरिंदर ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को इशारा किया था, “ कानून रद्द न होने की सूरत में नेता 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के लिए गांवों में कैसे जाएंगे?”

कृषि कानून रद्द करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एलान को मास्टर स्ट्रोक बताने वाले पंजाब भाजपा के अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने आउटलुक से कहा, “ भाजपा किसान हितैषी पार्टी है। किसानों को कृषि कानून हितकर न लगने की सूरत में प्रधानमंत्री ने उन्हें रद्द किए जाने का सही फैसला किया है। पार्टी ने पंजाब की सभी 117 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है, इस बीच किसी अन्य पार्टी से गठबंधन की संभावना होती है तो इस पर विचार किया जाएगा”।

Advertisement

कृषि कानूनों को रद्द करने के मोदी के एलान को राजनीतिक स्टंट बताने वाले कई किसान संगठनों का कहना है कि तीन कृषि कानूनों के रद्द होने से किसानों की जिंदगी में कोई बड़ा बदलाव आने वाला नहीं हैं। जब तक केंद्र सरकार तमाम फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी)की कानूनी गारंटी नहीं देती तब तक किसानों की आय में वृद्धि की कल्पना नहीं की जा सकती। पंजाब के कई किसान संगठन तो एमएसपी से आगे तमाम कृषि कर्ज माफी की मांग पूरी न होने तक आंदोलन पर डटे रहने की बात कर रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन उगरांह के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने आउटलुक से बातचीत में कहा, “तीन कृषि कानून रद्द होने से कृषि क्षेत्र कॉरपोरेट के हाथों से बचा है पर मसला किसान पर भारी कर्ज से मुक्ति और आय बढ़ोतरी का है।” उन्होंने कहा कि धान व गेहूं की खेती करने वाले पंजाब के 80 फीसदी से अधिक किसानों को तो पहले से ही एमएसपी मिलने पर खेती घाटे का सौदा है इसलिए यहां के किसानों पर 90,000 करोड़ से अधिक का बोझ है। कोकरीकलां ने कहा कि पंजाब की कांग्रेस सरकार का किसानों को कर्ज मुक्त करने का चुनावी वादा पूरा नहीं हुआ है। 90,000 करोड़ रुपए के कर्ज में से पांच प्रतिशत भी कर्ज माफ नहीं हुआ है। 2008 में यूपीए सरकार द्वारा की गई 78,000 करोड़ रुपए की कर्ज माफी से भी पंजाब के किसानों को राहत नहीं मिली थी। भारतीय किसान यूनियन उगरांह का कहना है जब तक पंजाब के किसान पूरी तरह से कर्ज मुक्त नहीं हो जाते तब आंदोलन जारी रहेगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Repeal, agricultural laws, PM Modi, election, Punjab, UP, पीएम मोदी, कृषि कानून
OUTLOOK 19 November, 2021
Advertisement