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01 March 2018

शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को कांची मठ में दी गई समाधि

ANI

कांची मठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को आज वैदिक सम्मान के साथ मठ के वृंदावन उपभवन में समाधि दी गई।मंत्रोच्चारण के बीच 82 वर्षीय शंकराचार्य की पार्थिव देह को उपभवन में बनाए गए सात फुट लंबे एवं सात फुट चौड़े समाधि स्थल के भीतर रखी बांस की एक बड़ी टोकरी में बैठी हुई मुद्रा में रखकर समाधि दी गई। समाधि स्थल को वसंबु, नमक, चंदन और रेत से भरा गया था।

सुबह 7 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर साढ़े तीन घंटे चली अंतिम संस्कार की इस प्रक्रिया के आखिर में एक महा आरती की गई। इस दौरान तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित भी मौजूद थे। अंतिम संस्कार की यह प्रक्रिया जयेंद्र सरस्वती की देह के अभिषेकम यानि स्नान के साथ शुरू हुई। मठ का प्रांगण मंत्रोच्चारण से गुंजायमान हो उठा और भावविभोर श्रद्धालुओं ने उन्हें अंतिम विदाई दी।

समाधि दिए जाने से पहले उनकी देह को मुख्य भवन से वृंदावनम उपभवन तक एक कुर्सी पर लाया गया। यहां उनके पूर्ववर्ती श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती की भी समाधि है। शंकराचार्य के पार्थिव शरीर को लोगों के अंतिम दर्शन के लिए कल सुबह से ही मठ परिसर के मुख्य भवन में रखा गया था। समाधि दिए जाने के दौरान कैलय वद्यम (तमिल संगीत का एक प्रकार) बजाया गया जिससे श्रद्धालु की आंखें नम हो गईं। इस तरह का संगीत अमूमन शिव मंदिर में पूजा के दौरान बजाया जाता है।

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अंतिम संस्कार की प्रक्रिया श्री विजयेंद्र सरस्वती और शंकराचार्य के कुछ करीबी रिश्तेदारों की मौजूदगी में हुई। इस दौरान केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन और सदानंद गौड़ा एवं भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष तमिलिसाईं सौंदराराजन भी मौजूद थे।

विजयेंद्र सरस्वती होंगे नए शंकराचार्य

जयेंद्र सरस्वती 1994 से कांची पीठ के शंकराचार्य थे। मठ की उत्तराधिकार परंपरा के अनुसार उन्हें श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती के अवसान के बाद यह पद मिला था। उन्हें मात्र 19 साल की उम्र में चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने 1954 में उत्तराधिकारी चुना था। जयेंद्र सरस्वती के महाप्रयाण के बाद उनके जूनियर विजयेंद्र सरस्वती नए शंकराचार्य बने हैं। उन्हें जयेंद्र सरस्वती ने 1983 में उत्तराधिकारी चुना था।

चारों वेदों के ज्ञाता थे शंकराचार्य

जयेंद्र सरस्वती का जन्म 18 जुलाई 1935 को तमिलनाडु में हुआ। वह कांची मठ के 69वें शंकराचार्य थे। जयेंद्र 1954 में शंकराचार्य बने थे। इससे पहले उनका नाम सुब्रमण्यन महादेव अय्यर था। उन्हें सरस्वती स्वामिगल का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। तब उनकी उम्र महज 19 साल थी।

मैनेजर की हत्या के आरोप से दोषमुक्त  

शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का कार्यकाल चर्चित रहा। 11 नवंबर 2004 को उन्हें कांची मठ के मैनेजर शंकररमन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। लंबी अदालती प्रक्रिया के बाद 27 नवंबर 2013 को पुडुचेरी की अदालत ने उन्हें दोषमुक्त करार दिया था।

 

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TAGS: The process of samadhi, Jayendra Saraswati started, More than 1 lakh people, have taken his darshan, since yesterday
OUTLOOK 01 March, 2018
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