सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिन में राफेल के बारे में मांगी जानकारी, केंद्र ने कहा- नहीं बता सकते कीमत
सुप्रीम कोर्ट ने भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल फाइटर प्लेन सौदे मामले में अरुण शौरी और अन्य की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुुए सरकार से 10 दिनों के भीतर सील बंद लिफाफे में 36 राफेल विमानों की कीमत और उसकी जानकारी जमा करने को कहा है।
इस मामले में सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच सुनवाई कर रही है। इस मामले में दायर अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा, विनीत धांडा, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी व वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं पर अगली सुनवाई 14 नवंबर को करेगा।
राफेल से जुड़ी जानकारी कोर्ट से साझा नहीं किए जा सकते: अटॉर्नी जनरल
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल विमान की कीमत का मामला एक्सक्लूसिव है और कुछ दस्तावेज ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत आते हैं। उसके विवरण कोर्ट से साझा नहीं किए जा सकते। इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर ऐसा है तो आप कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताएं कि जानकारी साझा क्यों नहीं की जा सकती?
वेणुगोपाल ने विमानों की कीमत पर सूचनाएं साझा करने को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसकी कीमत संसद को भी नहीं बताई गई। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र ने न्यायालय में जो दस्तावेज दिए हैं वे सभी सरकारी गोपनीयता कानून के तहत आते हैं।
इससे पहले सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सौदे की प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी
इससे पहले राफेल मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सौदे की प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी। मगर इस बार सुप्रीम कोर्ट ने महज 10 दिनों के भीतर राफेल की कीमत और उसकी विस्तृत जानकारी मांगी है। 10 अक्टूबर को पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह राफेल सौदे पर फैसला लेने की प्रक्रिया का चरणबद्ध विवरण सीलबंद लिफाफे में अदालत में दाखिल करे।
कोर्ट ने बंद लिफाफे में 10 दिनों के अंदर मांगी केंद्र से जानकारी
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से कहा कि राफेल विमानों की कीमत व रणनीतिक जानकारी बंद लिफाफे में 10 दिनों के अंदर कोर्ट को सौंपे। शीर्ष अदालत ने केंद्र से यह भी कहा कि वह राफेल डील के बारे में उस जानकारी का खुलासा करे जो तार्किक रूप से सार्वजनिक की जा सकती है। वह याचिकाकर्ताओं के साथ भारतीय आॅफसेट पार्टनर चुनने से जुड़ी जानकारी भी साझा करे।
'भारतीय ऑफसेट पार्टनर चुनने से जुड़ी जानकारी भी साझा करे केंद्र'
शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि वह राफेल डील के बारे में उस जानकारी का खुलासा करे जो तार्किक रूप से सार्वजनिक की जा सकती है। वह याचिकाकर्ताओं के साथ भारतीय ऑफसेट पार्टनर चुनने से जुड़ी जानकारी भी साझा करे। हालांकि कोर्ट ने कहा कि गोपनीय और रणनीतिक जानकारी का खुलासा न किया जाए।
इनकी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट कर रही सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने आज जिन याचिकाओं पर सुनवाई की उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के साथ ही वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत के साथ दाखिल संयुक्त याचिका भी शामिल है।
प्रशांत भूषण ने कोर्ट की निगरानी में की सीबीआई जांच की मांग
याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट की निगरानी में राफेल डील की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। सीजेआई ने कहा कि अभी इसके लिए वक्त लग सकता है। पहले उन्हें (सीबीआई को) अपना घर (विभाग) तो व्यवस्थित कर लेने दो।
जानें क्या बोले संजय सिंह
कोर्ट के यह कहने पर कि भारतीय ऑफसेट साझेदार को सौदे में शामिल करने के संबंध में पूरी जानकारी उसे और याचिकाकर्ता को देने पर 'आप' के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह की ओर से पेश वकील ने जब पीठ से कहा कि उन्होंने भी इस संबंध में याचिका दायर की है, न्यायालय ने पूछा ‘इसमें उनका क्या हित है? हमें इतनी याचिकाओं पर विचार करने की जरूरत नहीं है।’ सुनवाई के दौरान शौरी न्यायालय में उपस्थित थे।
भारत ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ किया सौदा
भारतीय वायुसेना की क्षमता को बढ़ाने की प्रक्रिया के तहत भारत ने उपयोग के लिए पूरी तरह तैयार स्थिति में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ सौदा किया है। राफेल दो इंजनों वाला मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) है। इसका निर्माण फ्रांस की कंपनी दसाल्ट ने किया है।
भारतीय वायुसेना ने अगस्त 2007 में 126 लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव रखते हुए इस संबंध में निविदा जारी किया। इसके बाद निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए हथियार बनाने वाली विभिन्न कंपनियों को न्योता भेजा गया।
शुरुआत में वकीलों एमएल शर्मा और विनीत ढांडा ने राफेल सौदे के खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर कीं। बाद में सिन्हा, शौरी और भूषण की ओर से एक और आप नेता संजय सिन्हा की ओर से एक-एक याचिका दायर की गई। दोनों पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों और भूषण ने अपनी याचिका में प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी।