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22 November 2019

जारी रहेगी दिल्ली में आरओ प्यूरीफायर के इस्तेमाल पर रोक, सुप्रीम कोर्ट का स्टे से इन्कार

दिल्ली में आरओ फिल्टर के इस्तेमाल पर रोक लगाने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर स्टे लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर किया है। लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि इसके मामले में अधिसूचना जारी करने से पहले आरओ निर्माताओं के पक्ष पर गौर करे। कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले आरओ निर्माताओं के संगठन को भी इस मामले में केंद्र सरकार से संपर्क करने की सलाह दी है।

आरओ निर्माताओं ने दिए ये तर्क

जस्टिस रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनसीट के आदेश पर कोई हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया। आरओ मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एनजीटी ने दिल्ली में आरओ के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। जबकि आरओ वाटर का इस्तेमाल कई चिकित्सकीय आवश्यकताओं खासकर डायलिसिस के लिए भी किया जाता है। आरओ से पाना के हैवी मैटीरियल साफ हो जाते हैं। यह प्रदूषित पानी को परिशोधित करने के लिए उपयोगी है। आरओ निर्माताओं के वकील ने कहा कि उनके पक्ष में कई तर्क हैं।

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सरकार सुने निर्माताओं का पक्ष

कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि इस संबंध में अधिसूचना जारी करने से पहले एसोसिएशन के ज्ञापन पर विचार करे। एसोसिएशन अगले दस दिनों में अपना प्रतिवेदन सबूतों के साथ सरकार को सौंप देगी। अदालत ने कहा कि एसोसिएशन को अदालत के बजाय सरकार के पास जाना चाहिए। सरकार को उनके पक्ष पर विचार करना चाहिए।

एनजीटी ने क्यो लगाई रोक

एनजीटी ने 20 मई 2019 को आदेश दिया था कि जिन राज्यों में प्रति लीटर पानी में टोटल डिजॉल्व्ड सोलिड्स (टीडीएस) 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, वहां िरवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) प्यूफायर की बिक्री पर रोक लगाई जाए। इसी आदेश के तहत दिल्ली में आरओ की बिक्री पर रोक लगाई गई है।

आदेश लागू करने को सख्ती

इस आदेश को लागू करने में ढिलाई बरतने पर एनजीटी ने 6 नवंबर को पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों की खिंचाई की और 31 दिसंबर तक आदेश को लागू करने का आदेश दिया। एनजीटी ने सख्त आदेश दिया है कि अगर आदेश लागू नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारियों का वेतन रोका जाए।

विशेषज्ञों ने दिया था सुझाव

एनजीटी ने आरओ प्यूरीफायर पर प्रतिबंध लगाने का आदेश विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर दिया था। समिति ने सिफारिश की थी कि जिन राज्यों के पानी में टीडीएस 500 मिलीग्रीम प्रति लीटर से कम है, वहां आरओ की बिक्री रोकी जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्टडी के अनुसार टीडीएस 300 से कम होने पर पानी अच्छा माना जाता है। अगर टीडीएस 900 एमजी तक है तो पानी खराब और 1200 से ज्यादा है तो अस्वीकार्य माना जाता है।

पानी की बर्बादी रोकने को यह भी कदम

एनजीटी ने आरओ निर्माताओं के लिए एक और आदेश दिया है कि अगर देश के जिन क्षेत्रों में आरओ के इस्तेमाल की अनुमति है, वहां 60 फीसदी से ज्यादा शुद्ध पानी प्राप्त होना चाहिए। प्रायः शिकायत है कि आरओ के इस्तेमाल से अशुद्ध पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है। इससे पानी की बर्बादी होती है। कई बार तो अशुद्ध पानी 60-75 फीसदी तक होता है। शुद्ध पानी सिर्फ 25 से 40 फीसदी मिलता है।

एनजीओ ने की थी शिकायत

एनजीटी ने यह आदेश एक एनजीओ के द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करके जारी किया था। इसमें कहा गया था कि अनावश्यक आरओ का इस्तेमाल रोका जाना चाहिए। इससे पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है।

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TAGS: RO Filters, NGT ban, environment, water, water purifier
OUTLOOK 22 November, 2019
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