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09 May 2018

सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के रखरखाव को लेकर एएसआई पर जताई नाराजगी, मांगी जानकारी

File Photo

सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के रखरखाव को लेकर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) पर नाराजगी जताई है तथा पूछा है कि इसके लिए क्या समुचित कदम उठाए गए हैं?

 

बुधवार को ताजमहल के पीले पड़ने के लिए एएसआई की कीड़े और काई की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'क्या काई के पास पंख हैं जो उड़कर ताजमहल पर बैठ जाती है।' कोर्ट ने एएसआई को फटकार लगाते हुए कहा कि एएसआई लगता है ताजमहल की समस्या समझना नहीं चाहता। अगर उसका यही स्टैंड रहा तो केंद्र ताजमहल के रखरखाव के लिए दूसरा विकल्प तलाशे। साथ ही एएसआई और केंद्र से विजन डॉक्यूमेंट भी पेश करने को कहा।

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एएसआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ताजमहल के बदलते रंग की वजह गंदे मोजे और ताज पर मौजूद गंदे कीड़े और काई है। कोर्ट ने इस जवाब पर हैरानी जताते हुए कहा कि 'क्या ये संभव है कि काई उड़कर छत पर पहुंच गई। कोर्ट ने एएसआई के लचर रवैए पर फटकार लगाते हुए कहा कि समस्या ये है कि एएसआई ये मानने के लिए तैयार ही नहीं कि कोई दिक्कत है। अगर एएसआई ने जिम्मेदारी से अपना काम किया होता तो ये स्थिति पैदा ही नहीं होती। 222 साल पहले हमारे आदेश पर अब तक अमल नहीं हो पाया है।

 

जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश एडीश्‍ानल सॉलिसिटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से कहा, 'यदि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपना काम ठीक से किया होता तो आज यह स्थिति नहीं होती। हम एएसआई के अपना बचाव करने के तरीके से आश्चर्यचकित हैं। इस बीच, नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ताजमहल के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को नियुक्त करने के अदालत के सुझाव पर विचार कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई बार तल्ख टिप्पणी कर चुका है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि ताजमहल को लेकर कोर्ट चिंतित है। कोर्ट ने कहा था कि ताजमहल  के आस-पास किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, चाहे आगरा वाटर सप्लाई की पाइपलाइन का ही मसला क्यों न हो। साथ ही पूछा था कि अगर पाइपलाइन बिछाने के लिए बहुत बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाते हैं तो, उनकी जगह पर नए पौधे कैसे लगेंगे उनके लगाने के लिए जगह ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से सवाल किया था कि क्या वह विश्वप्रसिद्ध ताजमहल को 'नष्ट करना चाहती है।' कोर्ट ने यह तीखी टिप्पणी उस याचिका की सुनवाई के दौरान की थी जिसमें मथुरा और दिल्ली के बीच करीब 80 किलोमीटर क्षेत्र में एक अतिरिक्त रेल लाइन बिछाने के लिए करीब 450 पेड़ काटने की अनुमति मांगी गई थी।

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TAGS: SC, Tahmahal, ASI, upkeep, displeasure
OUTLOOK 09 May, 2018
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