सुप्रीम कोर्ट ने धारा-377 खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर किए जाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस दिया है। साथ ही इस पर एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता होटल व्यवसायी केशव सूरी ने दो समलैंगिकों के संबंधों को अपराध से बाहर करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई संवैधानिक बेंच के सामने पहले से दाखिल दूसरी याचिकाओं के साथ की जाएगी।
याचिकाकर्ता होटल व्यवसायी केशव सूरी ने मांग की थी कि आईपीसी की धारा-377 के तहत दो समलैंगिकों के संबंधों को अपराध से बाहर रखा जाए। धारा-377 एलजीबीटी (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर) समुदाय के संबंधों पर प्रतिबंध लगाती है जो कि 'प्राकृतिक' नहीं है।
इससे पहले भी इस धारा-377 को खत्म करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने कई याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। साल 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट ने धारा-377 को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था लेकिन बाद में इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने खारिज कर दिया था।