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14 February 2020

जमियत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का CAA को लेकर केन्द्र को नोटिस

File Photo

नागरिकता संशोधन कानून पर देश के कई हिस्सों में अब भी प्रदर्शन किया जा रहा है। इस बीच, जमियत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से नागरिकता (संशोधन), कानून 2019 की संवैधानिकता और एनआरसी के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस भेजते हुए जवाब मांगा है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को यानी 7 फरवरी को असम समझौते को प्रभावी रूप से लागू करने और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से इस याचिका पर जवाब भी मांगा था।

पहले भी सुप्रीम कोर्ट जारी कर चुका है नोटिस

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असम सामाजिक न्याय मंच की ओर से दी गई याचिका में असम समझौते, 1985 को लागू करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के दिशानिर्देश देने की मांग की गई थी और असम के मूल निवासियों की खास संस्कृति, विरासत और परंपराओं को सहेजने और बरकरार रखने की भी मांग की गई है। पीठ ने इसी के साथ नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने वाली लंबित याचिकाओं के साथ ही इस याचिका को भी शामिल कर दिया।

अब कम लोग पहुंच रहे हैं शाहीन बाग

बताया जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन में अब लोग कम आ रहे हैं। चुनाव के बाद शाहीनबाग प्रदर्शनस्थल पर पहले के मुकाबले भीड़ कम हुई है। मंच से बार-बार ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने के लिए अब अपील की जा रही है। गुरुवार को भी मंच से लाउडस्पीकर पर लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में यहां पहुंचने की अपील की जा रही थी।

वहीं, पुलवामा हमले की पहली बरसी को देखते हुए 14 और 15 फरवरी को शाहीनबाग में कोई राजनीतिक भाषण नहीं होगा। दोनों दिन यहां देशभक्ति कार्यक्रम आयोजित होंगे।  

प्रधानमंत्री से प्रदर्शनकारियों की अपील

प्रदर्शनस्थल पर वेलेंटाइन डे की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री के नाम से गुलदस्ते बनाकर रखे गए हैं। उन पर अंग्रेजी में लिखा है कि मोदी कृपया शाहीनबाग में आइए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दो माह से उनका प्रदर्शन चल रहा है। प्रधानमंत्री अपने चुनावी भाषणों में कई बार प्रदर्शन का जिक्र कर चुके हैं। तीन तलाक के मुद्दे पर भी उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के प्रति अपनी चिंता जाहिर की थी। अगर उन्हें उनकी चिंता है तो वह उनसे मिलने क्यों नहीं आते।

प्रदर्शन स्थल पर पीएम मोदी को न्योते वाले पोस्टर

बता दें कि शाहीन बाग में प्रदर्शन स्थल पर पीएम मोदी को न्योते वाले पोस्टर लगाए गए हैं। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी इसे प्रसारित किया गया है। इन पोस्टर्स में लिखा है, "प्रधानमंत्री मोदी, कृपया शाहीन बाग आएं, अपना गिफ्ट ग्रहण करें और हमसे बात करें।"

दिसंबर से जारी है शाहीन बाग में सीएए को लेकर प्रदर्शन

दिसंबर 2019 से ही शाहीन बाग, जामिया नगर और खुरेसी सहित राजधानी दिल्ली के कई हिस्से में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारियों ने नोएडा को दक्षिण-पूर्व दिल्ली को जोड़ने वाली कालिंदी कुंज ब्रिज पर टेंट लगा रखा है। बता दें कि आधिकारिक अनुमान के मुताबिक हर दिन इस ब्रिज से 1.75 लाख वाहनों का आना-जाना होता है और प्रदर्शन के कारण आवाजाही प्रभावित हो रही है।

क्या है असम समझौता?

लंबे आंदोलन के बाद असम समझौता 15 अगस्त 1985 को हुआ था। समझौते में कहा गया था कि 25 मार्च 1971 के बाद असम में आए विदेशियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर निकाला जाए। दूसरे राज्यों के लिए यह समय सीमा 1951 थी। वहीं, नागरिकता संशोधन कानून में नई समय सीमा 2014 तय की गई है। इसी का विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नई समय सीमा से असम समझौते का उल्लंघन हो रहा है।

यह भी कहा जा रहा है कि नए कानून से असम समझौते के नियम-6 का भी उल्लंघन हो रहा है। इस नियम के तहत असम के मूल निवासियों की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भाषाई पहचान और उनके धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सांविधानिक, कार्यकारी और प्रशासनिक व्यवस्था की गई है।

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TAGS: SC notice, Centre, plea challenging, constitutional validity, of CAA
OUTLOOK 14 February, 2020
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