राज्यसभा चुनाव में NOTA के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रोक से किया इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात राज्यसभा चुनाव में नोटा (नन ऑफ द अबव) के इस्तेमाल पर कांग्रेस की मांग को ठुकरा दिया है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी कि चुनाव में नोटा का इस्तेमाल ना किया जाए।
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम पूरे मामले की संवैधानिकता परखेंगे। इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि चुनाव आयोग द्वारा जनवरी 2014 में जारी अधिसूचना पर सवाल उठाने में इतनी देर क्यों कर दी?
Supreme Court refuses to stay plea on NOTA option; upcoming Gujarat Rajya Sabha polls to be held with NOTA.
— ANI (@ANI_news) August 3, 2017
Use of NOTA option in RS polls- SC asks Gujarat Congress: why are you so late in raising the question as EC issued notification in Jan 2014?
— ANI (@ANI_news) August 3, 2017
पीटीआई के मुताबिक, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पेश से वकील कपिल सिब्बत ने राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल पर खिलाफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अमिताव रॉय और जस्टिस एएम खानविलकर की सदस्यता वाली पीठ के समक्ष याचिका दायर कर फौरन सुनवाई का अनुरोध किया। सिब्बल का तर्क था कि इन चुनावों में इस्तेमाल होने वाले बैलेट पेपर नोटा के लिए कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है।
गुजरात कांग्रेस के मुख्य सचेतक शैलेश मनुभाई परमार की ओर से जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और हरीन रावल ने निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के अमल पर अंतिरम रोक लगाने का अनुरोध किया तो पीठ ने कहा, नोटिस जारी किया जाए। हम इसकी जांच करेंगे। हम कार्यवाही पर रोक नहीं लगा रहे हैं। कोर्ट के एक फैसले के बाद से निर्वाचन आयोग चुनावों में मतदाताओं को नोटा का विकल्प उपलब्ध कराएगा। कोर्ट ने आयोग से कहा था कि चुनाव में नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने पर विचार किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल की इस दलील से सहमत नहीं था कि नोटा का प्रावधान ‘भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा।’ बता दें कि इस समय गुजरात में राज्यसभा से 3 सीट हैं और चुनाव मैदान में कांग्रेस के कद्दावर नेता अहमद पटेल सहित चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
नोटा के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका में विधानसभा सचिव द्वारा 1 अगस्त को जारी परिपत्र रद्द करने की मांग की थी। इस परिपत्र में कहा गया है कि राज्यसभा के चुनाव में नोटा का प्रावधान भी उपलब्ध रहेगा।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस विकल्प के इस्तेमाल से जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 और चुनाव कराने संबंधी नियम, 1961 का उल्लंघन होता है। याचिका में नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने संबंधी निर्वाचन आयोग द्वारा 24 जनवरी, 2014 और 12 नवंबर, 2015 के परिपत्र को ‘शून्य’ घोषित करते हुए इन्हें निरस्त करने का अनुरोध भी किया था। साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के ईवीएम में नोटा का विकल्प अनिवार्य करने संबंधी फैसले के बाद जनवरी 2014 से NOTA का प्रावधान रखने संबंधी अधिसूचना लागू की गई।
बता दें कि पिछले दिनों राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था। कांग्रेस उम्मीदवार और पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और उनकी पार्टी के तमाम नेताओं ने सवाल भी उठाया था। कांग्रेस नेताओं के सवालों पर सरकार ने जवाब देते हुए कहा था कि चुनाव कराने का अधिकार चुनाव आयोग का है।